हयात जफर हाशमी ने कानपुर हिंसा के लगभग 5 दिन पहले बाजार बंदी की सूचना मार्केट में चस्पा करवाई थी। जिसके पोस्टर आज भी गवाह बने हैं। लेकिन पुलिस के पूछताछ के दौरान उसने बंदी का आह्वान वापस लेने की जानकारी दी थी। जबकि हकीकत में भीतर खाने सुबह लगातार बंद की साजिश रच रहा था। 3 जून को जुमे की नमाज के बाद हुई भारी हिंसा और बवाल इसका परिणाम है।
एलआईयू की गोपनीय रिपोर्ट
इस संबंध में एलआईयू ने संबंधित अधिकारियों को एक गोपनीय रिपोर्ट दी थी। जिसमें बताया गया था कि किन संगठनों की तरफ से धरना प्रदर्शन की आशंका है। इनमें राजनीतिक पार्टियों के अतिरिक्त मजदूर संगठन और लाल इमली के भी नाम बताए जाते हैं। लेकिन कानपुर हिंसा में शामिल मुख्य साजिशकर्ता और उसके संगठन का नाम नहीं था। जिसे एलआईयू की बड़ी लापरवाही के रूप में निकल कर सामने आ रहा है। इस संबंध में पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने कहा कि एसआईटी पूरे मामले की जांच कर रही है। जिम्मेदार पुलिसकर्मी और एलआईयू अफसरों की जांच हो रही है। जिसकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।