जी हां, खबर है कि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज देश को मिर्गी के इलाज की गाइड लाइंस तय करेगा. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मेडिकल क़ॉलेज को मिर्गी के मरीजों की पहचान और उन्हें इलाज का तरीका बताने का प्रोजेक्ट सौंपा है. अब यहां के डॉक्टर घर-घर सर्वे कर मिर्गी के संभावित मरीजों की पहचान करेंगे और इलाज का तरीका सुझाएंगे. प्रोजेक्ट सफल होने पर आईसीएमआर इसे देशभर में लागू कराने की संस्तुति भी करेगा.
प्रोजेक्ट के तहत मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर उन मरीजों को भी खोजेंगे, जिन्हें भविष्य में मिर्गी रोग हो सकता है. इसकी शुरुआत घाटमपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और घाटमपुर तहसील के गांवों से होगी. इसके लिए एक प्रश्नावली तैयार की गई है जिसके आधार पर सर्वे किया जाएगा. संभावित रोगियों का पता लगते ही इलाज शुरू हो जाएगा. टेस्टिंग बाद में कराई जाएंगी.
मेडिकल कॉलेज डॉट सेंटर की तरह मिर्गी सेंटर बनाने का भी प्रस्ताव करेगा. प्रोजेक्ट में मिर्गी रोगियों की पहचान कर उनका कैसे इलाज हो, इसकी गाइड लाइंस बनेगी. इसे देश में आईसीएमआर को रिपोर्ट देकर लागू कराने की संस्तुति होगी. आईसीएमआर ने जीएसवीएम मेडिकल कालेज को मरीजों में सुन्नपन और घावों की समस्या के निदान के लिए भी शोध का कार्य सौंपा है. शोध के लिए मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों की टीम भी बना दी गई है. शोध प्रोजेक्ट के लिए डॉ. सौरभ अग्रवाल को नोडल अधिकारी बनाया गया है.
दरअसल मिर्गी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार है। इसमें मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिका (र्नव सेल) गतिविधि बाधित हो जाती है, जिसके कारण दौरे या असामान्य व्यवहार, उत्तेजना और बेहोशी हो सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में करीब एक फीसदी आबादी है मिर्गी पीड़ितों की कुल आबादी के मुकाबले, जबकि 60 लाख से ज्यादा लोग देश में मिर्गी का इलाज नहीं करा रहे हैं। इसके अतिरिक्त करीब 25 फीसदी मरीज झाड़-फूंक और झोलाछापों से इलाज करा रहे हैं।
डाक्टर्स के मुताबिक, मिर्गी के लक्षणों में ‘घबराहट, डर लगना, बीमार महसूस करना, सांस में दिक्कत होती है। इसके साथ ही हाथ और पैरों का मुडऩे लगना या उनमें हरकत होने लगना भी मिर्गी का लक्षण है। कभी-कभी सिरदर्द, दांतों का आपस में जकड़ जाना भी मिर्गी का संकेत देता है।
आईसीएमआर के प्रोजेक्ट के बारे में मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. नवनीत कुमार कहते हैं कि जल्द ही शोध के लिए आर्थिक सहायता भी मिलेगी। आईसीएमआर जलमा ने घाटमपुर सीएचसी को अपना सबसेंटर बना रखा है इसलिए प्रोजेक्ट की शुरूआत वहीं से होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मिर्गी रोगियों पर नए सिरे से निर्देश दिए। सुझाव दिया कि संभावित मिर्गी रोगियों का तुरंत इलाज शुरू किया जाए।