बंद है चिड़ियाघर
कोरोना वायरस के चलते कानपुर चिड़ियाघर जनता कफ्र्यू से पहले आम दशकों के लिए बंद कर दिया गया हैं तो वहीं इटावा की लाइन सफारी में भी आमलोगों के प्रवेश पर रोक है। पत्रिका ने लाॅकडाउन के वक्त लाइन सफारी के कुछ वीडियो आपके लिए लेकर आया है। जिसमें बब्बर शेर आमदिनों की तरह फूटबाल खेल रहे हैं तो वहीं भालू के साथ अन्य वन्यजीव अपने-अपने तरीके से सुबह की शुरूआत करते हैं।
सभी वन्यजीव स्वस्थ्य
कानपुर चिड़ियाघर के डाॅक्टर आरके सिंह कहते हैं कि सभी वन्यजीव पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं और नियमित भोजन कर रहे हैं। सभी की देखभाल 24 घंटे की जा रही है। इस वक्त जू में दशकों के प्रवेश पर रोक होने के चलते वन्यजीव सुबह से ही बाड़े से बाहर आकर अठखेलियां करते हैं। वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए बाड़े के कर्मचारियों के लिए मास्क, ग्लव्स और सेनेटाइजर की व्यवस्था की गई है। कर्मचारी ज प्रशासन के आदेश का पालन कर रहे हैं।
1971 में रखी गई थी नींव
डाॅक्टर आरके सिंह बताते हैं कि 1971 में खुला यह चिड़ियाघर भारत के सर्वोत्तम चिड़ियाघरों में एक है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा चिड़ियाघर है। यहां पर लगभग 1250 जीव-जंतु है। चिड़ियाघर को आम लोगो के लिए 4 फरवरी 1974 को खोला गया। यहां का पहला जानवर उद्बीलाव था जो की चम्बल घाटी से आया था। चिड़ियाघर में चिम्पान्जी यहां का सबसे पुराना जानवर था, जिसकी कुछ साल पहले मौत हो गई थी। जबकि वनमानुष गज्जू भी अब इस दुनिया में नहीं रहा। दोनों के बाड़े खाली पड़े हुए हैं।
ये वन्यजीव मौजूद
डाॅक्टर सिंह बताते हैं, यहां पर बाघ, शेर, तेंदुआ, विभिन्न प्रकार के भालू, लकड़बग्घा, दगैंडा, लंगूर, हिरण समेत कई जानवर है। अति दुर्लभ घड़ियाल भी है। इसके अलावा हिरण सफारी भी दर्शकों के आकार्षण का केंद्र हैं। साथ ही अफ्रीका का शुतुरमुर्ग और न्यूजीलैंड का ऐमू, तोता,सारस समेत कई भारतीय और विदेशी पक्षी भी है। चिड़ियाघर में एक बड़ी प्राकृतिक झील है। जिसमें देश ही नहीं विदेश से परिंदे आकर तैरते हैं।