आठ हजार दावेदारों में अंकित ने अपनी पहचान बनाई हेल्पअस ग्रीन नामक कंपनी चलाने वाले कानपुर के अंकित अग्रवाल को यूनाइटेड नेशंस (यूएन) ने यंग लीडर्स अवार्ड से सम्मानित किया है। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले अंकित इकलौते भारतीय है। अंकित के साथ ही दुनिया के 16 अन्य युवाओं को सम्मानित किया गया है। सोमवार को अंकित ने यूनाइटेड नेशंस की जनरल एसेंबली में अपनी स्टार्टअप कंपनी का प्रजेंटेशन भी दिया, जिसे दुनियाभर के लोगों ने काफी सराहा। अब अंकित यूएन एसेंबली के दूत के तौर पर 2019 तक काम करेंगे। इस दौरान वह दुनिया के अन्य सभी देशों में सोशल एंटरप्रिन्योरशिप का प्रचार-प्रसार करेंगे। अपनी स्टार्टअप कंपनी के जरिए अन्य देशों में स्वच्छता, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्रों में काम करेंगे। अंकित की स्टार्टअप कंपनी आईआईटी कानपुर में इंक्यूबेटेड (स्थापित) है। यंग लीडर्स अवार्ड के लिए 184 देशों से आठ हजार से ज्यादा आवेदन आए थे। ज्यूरी ने सिर्फ 17 का चयन किया, अंकित का नाम सूची में चौथे नंबर पर है। संयुक्त राष्ट्र ने इस साल यंग लीडर्स अवार्ड के लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स विषय को तय किया था।
नौ हजार महिलाओं को रोजगार, ऑनलाइन लाखों ग्राहक भी जुड़े हैं कामयाबी की नई दास्तां लिखने वाले अंकित अग्रवाल ने पुणे के रीजनल कॉलेज से बीटेक व सिंबोयसिस इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट से इनोवेशन में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद नामचीन कंपनी में अच्छे पद पर जॉब करना शुरू किया था, लेकिन तीन साल बाद ही उन्होंने नौकरी छोडऩे का इरादा बना लिया। मंदिरों के कचरे से नदियों को बचाने के विचार ने स्टार्ट-अप का आइडिया दिया तो वोरिक बिजनेस स्कूल, इंग्लैंड से एमबीए की पढ़ाई करने वाले करन रस्तोगी का साथ मिल गया। दोनों ने मिलकर हेल्पअस ग्रीन कंपनी की नींव रखी थी। शुरुआत में कुछ दिक्कत आईं, लेकिन लोग साथ जुड़ते गए तो कंपनी भी बुलंदियों की तरफ बढऩे लगी। फिलवक्त हेल्पअस ग्रीन कंपनी में 80 प्रतिशत महिलाएं काम करती हैं। अंकित का दावा है कि स्टार्ट-अप के जरिए शहर की नौ हजार महिलाओं को काम दिया है। कंपनी के उत्पादों की दुकानों पर बिक्री के साथ-साथ ऑनलाइन बिक्री भी होती है, जहां लाखों ग्राहक हैं।
आईआईटी कानपुर ने साथ दिया, टाटा कंपनी से सहयोग मिला अंकित ने अपना आइडिया आईआईटी-कानपुर के साथ साझा किया तो प्रो. अमिताभ बंदोपाध्याय से तकनीकी गाइडेंस मिलने लगी। मंदिरों के अपशिष्ट से उत्पाद बनाने में कुछ दिक्कत थीं, ऐसे में अंकित और करन ने उत्तराखंड के सेंटर ऑफ एरोमेटिक प्लांट से प्रशिक्षण लेने के बाद कानपुर में काम शुरू कर दिया। पांच लाख रुपए से स्थापित कंपनी का मौजूदा समय में दो करोड़ से ऊपर का टर्न-ओवर है। अंकित कहते हैं कि एक आंकलन के मुताबिक रोजाना गंगा में अस्सी लाख टन फूल-नारियल प्रवाहित किया जाता है। चूंकि फूलों की खेती में कीटनाशकों तथा रासायनिक खाद को धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है। ऐसे में नदियों के पानी को जहरीला होने से रोकना मुश्किल था। अंकित की सफलता पर आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने खुशी जाहिर करते हुए कहाकि देश को ऐसे स्टार्टअप की जरूरत है जिससे पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सके और लोगों के लिए रोजगार का सृजन भी हो।