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पांच-छह लाख में किडनी खरीदकर पचास-पचास लाख में बेचीं

locationकानपुरPublished: Feb 17, 2019 02:36:46 pm

नामचीन अस्पतालों के सिंडिकेट का भंडाफोड़….- कानपुर में पकड़ा गया यूपी का सबसे बड़ा किडनी रैकेट, 12 बिचौलिये गिरफ्तार

Kidney Racket

पांच लाख में गरीब की किडनी लेकर ५० लाख में करते बिक्री

कानपुर. मुफलिसों को रुपयों का लालच देकर किडनी निकलवाने वाले रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। गिरोह के एक दर्जन सदस्यों और बिचौलियों को कानपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जबकि सिंडिकेट में शामिल डाक्टर्स को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। जल्द ही मामले में अन्य गिरफ्तारियां होंगी। किडनी रैकेट के बिचौलिए जरूरतमंदों को बहला-फुसलाकर पांच-छह लाख रुपए के एवज में जिस्म से किडनी निकालकर पचास-पचास लाख में बेचते थे। इस गोरखधंधे में आधा दर्जन अस्पतालों का नाम सामने आया है, जबकि किडनी ट्रांसप्लांट दिल्ली के नामचीन अस्पताल में होता था। इस अस्पताल की शाखाएं देश के तमाम बड़े शहरों में मौजूद हैं। गौरतलब है कि पिछले साल नई दिल्ली में अपोलो अस्पताल में किडनी रैकेट का पर्दाफाश हुआ था।

गैंग के 12 सदस्यों को नौबस्ता पुलिस ने दबोचा

कानपुर की एसपी साउथ रवीना त्यागी ने बताया कि किडनी रैकेट में शामिल कानपुर के छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि छह अन्य बिचौलिया भी हिरासत में लिये गए हैं। पुलिस के मुताबिक, बिचौलियों से पूछताछ में दिल्ली और नोएडा स्थित नामचीन अस्पताल की शाखाओं का नाम बताया है, जहां गरीबों को झांसा देकर खरीदी गई किडनी का ट्रांसप्लांट होता है। पूछताछ में रैकेट से जुड़े कई बड़े डॉक्टर्स के नाम भी सामने आए हैं। किडनी रैकेट का मास्टर माइंड का नाम अमित रॉय है, जोकि कोलकाता का रहने वाला है। अरबों का मालिक यह सरगना फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से दूर है।

फोन टैपिंग के जरिए किडनी कांड का खुलासा

दरअसल, शहर के एक बड़े व्यापारी ने कुछ दिन पहले किडनी ट्रांसप्लांट कराया था। इस मामले में पुलिस को भनक लगी कि व्यापारी ने यशोदानगर निवासी बिचौलिए के जरिए किडनी का इंतजाम किया था। पुलिस ने बिचौलिये के फोन को टैप किया तो किसी किडनी डोनर से दक्षिण इलाके के रेस्त्रां में मुलाकात की बात मालूम हुई। पुलिस ने बिचौलिये को गिरफ्तार किया तो गोरखधंधे की पर्ते खुलती चली गईं। एसपी-साउथ के मुताबिक, किडनी रैकेट में कानपुर के साथ-साथ लखनऊ, आगरा, नोयडा, मेरठ और कोलकाता के बिचौलिए शामिल हैं।

छोटे अस्पताल सौदेबाज, नोयडा में ट्रांसप्लांट

किडनी रैकेट से जुड़े सदस्यों ने बताया कि डोनर से किडनी का सौदा पांच-छह लाख में होता था, जबकि पांच लाख बिचौलिये को मिलते थे। किडनी निकालने वाला अस्पताल दस-पंद्रह लाख नोयडा के नामचीन अस्पताल को किडनी बेचता था। वहां पर पचास लाख में किडनी ट्रांसप्लांट होता था। गिरफ्तार बिचौलियों ने बताया है कि वह लोग वर्ष 2012 से इस धंधे से जुड़े हैं। इस दौरान दर्जनों लोगों की किडनी का सौदा कर चुके हैं। फिलहाल किडनी रैकेट में कथित रूप से शामिल डाक्टर्स और अस्पतालों की भूमिका की जांच में पुलिस जुटी है। दावा है कि जल्द ही कई अन्य लोगों की गिरफ्तारी होगी।

दिल्ली का कार्डिनेटर कराता था सौदा

डाक्टर्स और अस्पतालों पर सीधी कार्रवाई से परहेज क्यों? इस सवाल पर पुलिस ने बताया कि बिचौलियों ने बताया है कि डोनर से सौदा तय करने के बाद दिल्ली में रहने वाले कार्डिनेटर के जरिए मास्टरमाइंड से बात होती थी। इसी के बाद किडनी निकाली जाती थी। मास्टरमाइंड और दिल्ली निवासी कार्डिनेटर के अलावा बिचौलियों का संवाद किसी अन्य से नहीं होता था। ऐसे में बगैर साक्ष्य अस्पतालों और डाक्टर्स पर कार्रवाई संभव नहीं है। मास्टरमाइंड अमित रॉय और अज्ञात कॉडिनेटर की गिरफ्तारी के बाद डाक्टर्स के नाम उजागर किए जाएंगे। गौरतलब है कि कानपुर में किडनी रैकेट के खुलासे का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले अप्रैल 2016 में दिल्ली के अपोलो अस्पताल में किडनी कांड का भंडाफोड़ होने पर कानपुर के गुंजन विहार निवासी सत्य प्रकाश उर्फ आशू को पकड़ा गया था। सत्यप्रकाश रैकेट के लिए बिचौलिए का काम करता था।
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