scriptकोविड-१९: अब दवा के साथ दुआ का भी सहारा, मरीजों को मिली यह छूट | Korana will also be treated by worshiping in Kanpur | Patrika News

कोविड-१९: अब दवा के साथ दुआ का भी सहारा, मरीजों को मिली यह छूट

locationकानपुरPublished: Apr 26, 2020 02:05:54 pm

अपनी धार्मिक मान्यताओं से पूजा पाठ का भी ले सकते हैं सहारा आईसीएमआर की शर्त, सोशल डिस्टेंसिंग का करना होगा पालन

कोविड-१९: अब दवा के साथ दुआ का भी सहारा, मरीजों को मिली यह छूट

कोविड-१९: अब दवा के साथ दुआ का भी सहारा, मरीजों को मिली यह छूट

कानपुर। कई आत्मबल की शक्ति शारीरिक बल से ज्यादा कारगर साबित होती है। कई बीमारियों में भी वे मरीज जल्दी ठीक होते हैं जो ठीक होना चाहते हैं और उनमें स्वस्थ्य होने का हौसला होता है। मरीजों का आत्मबल उन्हें कई बार गंभीर बीमारियों से भी निजात दिलाता है। इसी कारण अब कोरोना संक्रमित मरीजों को अपने-अपने तरीके से पूजा पद्धति का सहारा लेकर कोरोना से निजात पाने की छूट दी गई है। अब कोविड-१९ आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों को अपने-अपने तरीके से पूजा पाठ करने का भी मौका मिलेगा।
कानपुर के पहले मरीज ने पेश किया था उदाहरण
देश में कोरोना संक्रमण से मरने वालों में ज्यादातर ६० साल या उसके आसपास की उम्र वाले हैं, लेकिन कानपुर के पहले कोरोना संक्रमित मरीज ने नया उदाहरण पेश किया था। एनआरआई सिटी में संक्रमित होने वाले ६० वर्षीय वृद्ध ने कोरोना पर जीत हासिल की थी। डॉक्टरों के मुताबिक इलाज के दौरान वह बेहद सकारात्मक रहे और पूरे उत्साह के साथ खुद में स्वस्थ्य होने का भरोसा बनाए रहे और आखिर में उनका भरोसा कायम रहा। आज वह स्वस्थ्य होकर घर लौट चुके हैं।
पूजा-पाठ से आत्मबल होता मजबूत
लोगों की ईश्वर में श्रद्धा अटूट होती है और यही श्रद्धा उनमें शक्ति का संचार करती है। इसी कारण पूजा-पाठ करने वाले के मन में यह भरोसा होता है कि उसे कुछ नहीं होगा और भगवान उसकी रक्षा करेंगे। यही विश्वास बीमारियों से लडऩे में मदद करता है। इसी कारण हैलट के कोविड-19 अस्पताल में कोरोना संक्रमितों का इलाज में अब दवाओं के साथ-साथ धार्मिक और आध्यात्मिक थेरेपी का इस्तेमाल भी होगा। सोशल डिस्टेंसिंग और आईसीएमआर की गाइड लाइन का पालन करते हुए मरीज अपनी-अपनी धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से पूजा पद्धति का सहारा ले सकते हैं।
कुरान और गीता भेंट करेंगे डॉक्टर
नई धार्मिक और आध्यामिक थेरेपी के तहत डॉक्टर खुद कुरान और गीता की प्रतिलिपि मरीजों को भेंट करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है इससे मरीजों को सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी जो उन्हें जल्दी ठीक करने में मददगार होगी। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट कोविड-19 अस्पताल में इस समय 57 कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि दवाओं के साथ-साथ तरह-तरह की थेरेपी भी कारगर साबित होती है। इसलिए कोरोना के मरीजों के इलाज में धार्मिक-अध्यात्मिक थेरेपी को अपनाया जा रहा है। कोविड-19 के विशेषज्ञ प्रो. प्रेम सिंह का कहना है कि मरीज अपनी-अपनी मान्यता के अनुसार ईश्वर की उपासना करें। चाहे कुरान पढ़ें या गीता। इससे उनके अंदर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर होगी औऱ सकारात्मक ऊर्जा का अहसास होगा। इससे शरीर में हार्मोन का स्राव तेजी से होगा।
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