कानपुर आइआइटी के दो पूर्व छात्रों, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर गौरव तिवारी व इलेक्टिकल इंजीनियर दुर्विजय सिंह ने ‘कोविड-आई’ नाम का यह सॉफ्टवेयर बनाया है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद शुरू होने वाली औद्योगिक गतिविधियों से संक्रमण का खतरा इससे कम होगा। यह सॉफ्टवेयर फैक्ट्रियों, संस्थानों सहित ऐसे सभी स्थानों के गेट पर किसी चौकीदार की तरह काम करेगा, जहां ज्यादा संख्या में आकर लोग एक जगह घंटों तक रुकते या काम करते हैं। ऐसे स्थानों पर आने वालों के लिए तय किए गए मानकों का पालन न करने वालों को यह सॉफ्टवेयर अंदर नहीं आने देगा।
औद्योगिक जगत के लिए यह सॉफ्टवेयर गेट पर तैनात सुरक्षा गार्ड की तरह ही करेगा। तय सुरक्षा मानक की ड्रेस में नहीं होने पर कोविड-आई सॉफ्टवेयर पांच फीट पहले से चेतावनी दे देगा और दरवाजे का डिजिटल लॉक नहीं खोलने देगा। इस सुरक्षा मानक में मास्क, हेलमेट या कंपनी जो भी मानक चाहे, शामिल किया जा सकता है। आईआईटी के पूर्व छाद्ध गौरव तिवारी का कहना है कि संस्थान के सीसीटीवी कैमरे से जोडक़र बिना किसी ऑपरेटर या सुरक्षाकर्मी के जरिए इस काम को किया जा सकता है। तय मानक का पालन नहीं करने वाले शख्स के वीडियो पर सर्किल बन जाएगा और प्रबंधन तक सूचना पहुंच जाएगी।
यह सॉफ्टवेयर मई माह के अंत तक सभी के लिए उपलब्ध होगा। दुॢवजय सिंह ने बताया कि प्रोटोटाइप बनाकर इसका परीक्षण किया गया। मोबाइल के जरिए किए गए परीक्षण में तकनीकी में डिजिटल लॉक को भी जोड़ा गया है। अगर कोई कर्मचारी किसी दूसरे कर्मचारी की आड़ में बगैर मास्क के प्रवेश करने की कोशिश करता है तो दरवाजा ऑटोमेटिक बंद हो जाएगा।
इस सॉफ्टवेयर के जरिए तय सुरक्षा मानक के बिना किसी भी दुकान, फैक्ट्री या अन्य स्थानों पर कोई भी व्यक्ति नहीं घुस सकेगा। अगर जबरदस्ती की तो पांच मिनट पहले अलार्म बजाकर सभी को आगाह कर देगा। इतना ही नहीं काम करने के दौरान बीच में ही अगर किसी ने मास्क उतार दिया तो यह साफ्टवेयर भी उसकी पहचान कर लेगा और अलार्म बजाएगा।