पीएमओ को किया गुमराह पीड़िता के चाचा ने बताया कि हमने कई पुलिस-प्रशासन से शिकायत की, लेकिन वहां से न्याय नहीं मिला। थक हार कर हमने 13 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी और पीएमओ को शिकायती पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई। पीएमओ से कार्यकारी सचिव राकेश मिश्र ने 14 अगस्त को एक पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्य
नाथ के कार्यालय को भेजा जिसमें पीड़िता की शिकायत वाले बिदुओं को अंडरलाइन करते हुए जांच कराकर कार्रवाई करने और उसकी रिपोर्ट भी मांगी गई। इस पर वहां से उन्नाव पुलिस को भेजकर रिपोर्ट मांगी गई। पीड़िता के चाचा के मुताबिक 17 अगस्त को डीएम के माध्यम से एसपी कार्यालय पहुंची विधायक के खिलाफ शिकायत अगले ही दिन एसपी को मिली। माखी पुलिस ने इसमें ज्यादा समय नहीं लिया और तीसरे ही दिन 21 अगस्त को वापस रिपोर्ट भेज दी जिसमें पीड़िता को बहला फुसलाकर भगा ले जाने के मामले में आरोपियों को जेल भेजने की आख्या देकर विधायक पर लगाए गए आरोप को रिपोर्ट में फर्जी ठहरा दिया गया।
वीडियो के चलते फंसा विधायक पीड़िता के चाचा ने बताया कि विधायक व उसके भाई अतुल सिंह ने बड़े भाई पप्पू सिंह से समझौते का दबाव बनाया। लेकिन भाई समझौते को तैयार नहीं हुए। विधायक ने उन्हें फर्जी मुकदमा दर्ज करा जेल में बंद करवा दिया। विधायक व उसका भाई जेल के अंदर भाई की बेहरमी से पिटाई की। हालत गंभीर होने पर उसे अस्पताल लेकर आए और सादे कागजों में अंगूठा लगवाया। इसी दौरान किसी ने वीडियो बना लिया और उसे वायरल कर दिया। विधायक की पिटाई से भाई की मौत हो गई और वीडियो के जरिए उसकी और सरकारी सिस्टम की पोल खुली। पीड़िता के चाचा ने बताया कि मीडिया नहीं होती तो विधायक अपने आपको बचा ले जाता। क्योंकि मांखी तो छोड़िए उन्नाव और कानपुर में उसके खिलाफ कोई बोलने वाला नहीं। सीबीआई की जांच में विधायक के कई राज से पर्दे उठेंगे। विधायक ने कितनों को मार कर दफन किया है सारा कच्चा चिठ्ठा खुलेगा।
विधायक के इशारे पर नाचती रही पुलिस पीएमओ से पीड़िता की शिकायत पर जो पत्र यहां पहुंचा था, उसे लेकर फिलहाल जिले में तैनात अधिकतर अधिकारी मौन है। उनका कहना है कि उस वक्त वह यहां थे ही नहीं जिससे रिपोर्ट का प्रकरण संज्ञान में नहीं है। इससे माना जा रहा है कि पूर्व में तैनात रहे पुलिस अधिकारियों की तरह ही वर्तमान पुलिस अधिकारी विधायक के रसूख के आगे मौन ही नहीं रहे बल्कि उन्होंने वही किया जो विधायक ने कहा या उनके माफिक था। कशोरी से दुष्कर्म के मामले में अब तक जितनी भी शिकायतें पीड़ित परिवार ने की हैं उसमें से अधिकतर मामलों को पुलिस ने संज्ञान लिया और उनकी जांच भी एएसपी और सीओ स्तर के अधिकारियों द्वारा कराई गई लेकिन सभी की जांच में माखी पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को ही जांच रिपोर्ट में भेज दिया गया। पीएमओ से आई जांच में भी ऐसा ही किया गया, इस बात को जिले के आला पुलिस अधिकारी स्वीकारते भी हैं। पर विधायक के रसूख और सीबीआई के खौफ से सामने आकर इसे स्वीकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।