scriptनाना के बाद नाती ने संभाली थी सत्ता, अपने रुतबे से माखी को किया था कैद, कुलदीप सिंह सेंगर का खुला पूरा चिट्ठा | Kuldeep Singh Sengar politics unknown facts before Unnao gangrape case | Patrika News

नाना के बाद नाती ने संभाली थी सत्ता, अपने रुतबे से माखी को किया था कैद, कुलदीप सिंह सेंगर का खुला पूरा चिट्ठा

locationकानपुरPublished: Apr 17, 2018 11:58:09 am

थाने से लेकर कचहरी तक में बैठे सरकारी मुलाजिम कुलदीप सिंह सेंगर के एक इशारे पर दौड़े-दौड़े चले आते थे…

Kuldeep Singh Sengar politics unknown facts before Unnao gangrape case

नाना के बाद नाती ने संभाली थी सत्ता, अपने रुतबे से माखी को किया था कैद, कुलदीप सिंह सेंगर का खुला पूरा चिट्ठा

कानपुर. जिला मुख्यालय से करीब पंद्रह किमी की दूरी पर स्थित 21 पुरवों को मिलाकर मांखी ग्रामपंचायत है, जिसकी आबादी करीब 30 हजार के आसपास है। ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य, मुस्लिम और दलित सबको इसने अपने घर पर पनाह दी है। आजादी के बाद यहां की प्रजा का विकास विधायक के नाना ने करीब 37 साल तक किया। उनके गुजर जाने के बाद नाती कुलदीप सिंह सेंगर ने मांखी की सत्ता हमने हाथों में ले ली। इसके बाद सेंगर ने प्यार के बजाए रूतबे के बल पर मांखी को कैद कर लिया। थाने से लेकर कचहरी तक में बैठे सरकारी मुलाजिम एक इशारे में दौड़े-दौड़े चले आते थे। गैंगरेप पीड़िता जून 2017 से मांखी थाने के चक्कर काटती रही। डीएम-एसपी से मिली पर किसी ने सुनवाई नहीं की तो उसने पीएम मोदी के साथ सीएम को खत लिखकर इंसाफ मांगा। विधायक पर संगीन आरोप होने से पीएमओ ने उसे मुख्यमंत्री कार्यालय भेजकर जवाब मांगा। वहां से उन्नाव पुलिस से मामले की रिपोर्ट मांगी गई। इसके बाद भी माखी और उन्नाव पुलिस ने भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया और एसपी के माध्यम से माखी पुलिस ने पूर्व में हुई कार्रवाई की वही रिपोर्ट भेजी जो विधायक के माफिक थी।
पीएमओ को किया गुमराह

पीड़िता के चाचा ने बताया कि हमने कई पुलिस-प्रशासन से शिकायत की, लेकिन वहां से न्याय नहीं मिला। थक हार कर हमने 13 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी और पीएमओ को शिकायती पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई। पीएमओ से कार्यकारी सचिव राकेश मिश्र ने 14 अगस्त को एक पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के कार्यालय को भेजा जिसमें पीड़िता की शिकायत वाले बिदुओं को अंडरलाइन करते हुए जांच कराकर कार्रवाई करने और उसकी रिपोर्ट भी मांगी गई। इस पर वहां से उन्नाव पुलिस को भेजकर रिपोर्ट मांगी गई। पीड़िता के चाचा के मुताबिक 17 अगस्त को डीएम के माध्यम से एसपी कार्यालय पहुंची विधायक के खिलाफ शिकायत अगले ही दिन एसपी को मिली। माखी पुलिस ने इसमें ज्यादा समय नहीं लिया और तीसरे ही दिन 21 अगस्त को वापस रिपोर्ट भेज दी जिसमें पीड़िता को बहला फुसलाकर भगा ले जाने के मामले में आरोपियों को जेल भेजने की आख्या देकर विधायक पर लगाए गए आरोप को रिपोर्ट में फर्जी ठहरा दिया गया।
वीडियो के चलते फंसा विधायक

पीड़िता के चाचा ने बताया कि विधायक व उसके भाई अतुल सिंह ने बड़े भाई पप्पू सिंह से समझौते का दबाव बनाया। लेकिन भाई समझौते को तैयार नहीं हुए। विधायक ने उन्हें फर्जी मुकदमा दर्ज करा जेल में बंद करवा दिया। विधायक व उसका भाई जेल के अंदर भाई की बेहरमी से पिटाई की। हालत गंभीर होने पर उसे अस्पताल लेकर आए और सादे कागजों में अंगूठा लगवाया। इसी दौरान किसी ने वीडियो बना लिया और उसे वायरल कर दिया। विधायक की पिटाई से भाई की मौत हो गई और वीडियो के जरिए उसकी और सरकारी सिस्टम की पोल खुली। पीड़िता के चाचा ने बताया कि मीडिया नहीं होती तो विधायक अपने आपको बचा ले जाता। क्योंकि मांखी तो छोड़िए उन्नाव और कानपुर में उसके खिलाफ कोई बोलने वाला नहीं। सीबीआई की जांच में विधायक के कई राज से पर्दे उठेंगे। विधायक ने कितनों को मार कर दफन किया है सारा कच्चा चिठ्ठा खुलेगा।
विधायक के इशारे पर नाचती रही पुलिस

पीएमओ से पीड़िता की शिकायत पर जो पत्र यहां पहुंचा था, उसे लेकर फिलहाल जिले में तैनात अधिकतर अधिकारी मौन है। उनका कहना है कि उस वक्त वह यहां थे ही नहीं जिससे रिपोर्ट का प्रकरण संज्ञान में नहीं है। इससे माना जा रहा है कि पूर्व में तैनात रहे पुलिस अधिकारियों की तरह ही वर्तमान पुलिस अधिकारी विधायक के रसूख के आगे मौन ही नहीं रहे बल्कि उन्होंने वही किया जो विधायक ने कहा या उनके माफिक था। कशोरी से दुष्कर्म के मामले में अब तक जितनी भी शिकायतें पीड़ित परिवार ने की हैं उसमें से अधिकतर मामलों को पुलिस ने संज्ञान लिया और उनकी जांच भी एएसपी और सीओ स्तर के अधिकारियों द्वारा कराई गई लेकिन सभी की जांच में माखी पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को ही जांच रिपोर्ट में भेज दिया गया। पीएमओ से आई जांच में भी ऐसा ही किया गया, इस बात को जिले के आला पुलिस अधिकारी स्वीकारते भी हैं। पर विधायक के रसूख और सीबीआई के खौफ से सामने आकर इसे स्वीकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
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