कुमार के बुलावे पर ‘आप’ के कवि सम्मलेन में पहुंचे थे प्रमोद देश के जाने-माने कवि डॉ कुमार विश्वास ने प्रमोद तिवारी और केडी शर्मा हाहाकारी की असामयिक मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने ट्विट किया है कि यकीन करने का साहस नहीं बटोर पा रहा हूं कि हज़ारों कवि-सम्मेलनीय शामों के साथी प्रिय मित्र प्रमोद तिवारी जी नहीं रहे। एक निष्ठुर भोर ने सडक़ हादसे के माध्यम से उनके साथ आंचलिक कवि केडी शर्मा हाहाकारी जी के प्राण लील लिए। ईश्वर दोनों दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें. ? शांति गौरतलब है कि आप (आम आदमी पार्टी) के कई कवि सम्मेलनों में कुमार विश्वास के बुलावे पर प्रमोद तिवारी शामिल हुए थे। नई दिल्ली में हुए एक सम्मेलन में ‘याद बहुत आते हैं गुड्डे-गुडिय़ों वाले दिन’ सुनाकर प्रमोद तिवारी ने कुमार विश्वास समेत संजय सिंह, कपिल मिश्रा आदि को लोटपोट कर दिया था।
रात तीन बजे हुआ हादसा, संभलने का मौका भी नहीं मिला उन्नाव पुलिस के मुताबिक, लालगंज में कवि सम्मेलन खत्म होने के बाद कवि प्रमोद तिवारी कानपुर के पत्रकारपुरम् स्थित अपने घर के लिए रात करीब दो बजे रवाना हुए थे। उन्नाव के निवासी और हास्य कवि केडी शर्मा ने साथ चलने का अनुरोध किया तो श्री तिवारी ने उन्हें भी अपने साथ बैठा लिया। प्रमोद तिवारी ने घर पहुंचने के लिए लालगंज से वाया बदरका और गंगा बैराज का रास्ता चुना था। बगदका से चंद किलोमीटर आगे बढऩे पर जैसे ही प्रमोद तिवारी की कार ने कानपुर-लखनऊ राजमार्ग को लांघकर गंगा बैराज की सडक़ को पकडऩा चाहा तो कानपुर की तरफ से आए तेज रफ्तार ट्रक ने उनकी कार को रौंद दिया।
ट्रक ने कार में साइड से मारी टक्कर, फिर घिसटता चला गया बदरका चौराहे पर पंचर की दुकान चलाने वाले ने बताया कि रात करीब तीन बजे तेज आवाज से नींद टूटी तो देखा कि स्विफ्ट कार में टक्कर साइड से टक्कर मारने के बाद एक ट्रक भागने के चक्कर में कार को रगड़ता हुआ आगे बढ़ रहा था। दुकानदार तथा अन्य लोगों ने शोर मचाया, लेकिन तब तक ट्रक की टक्कर से कार किनारे हो चुकी थी। इसके बाद ट्रक उन्नाव की तरफ भाग निकला। मौके पर मौजूद लोगों ने करीब जाकर देखा तो कार में मौजूद दोनों लोगों की मौत हो चुकी थी। खबर मिलने के बाद मौके पर पहुंची उन्नाव पुलिस ने जेब से मिले कागजात तथा कवि सम्मेलन के कार्ड के आधार पर मृतकों की शिनाख्त प्रमोद तिवारी और केडी शर्मा के रूप में करने के बाद परिजनों को सूचना भेजी।
कवि प्रमोद तिवारी की गिनती बेहतरीन पत्रकारों में भी होती थी ‘याद बहुत आते हैं गुड्डे-गुडिय़ों वाले दिन’ तथा जो कहना है कहूंगा, दिया तो जलूंगा और जलूंगा तो बुझुंगा भी… जैसे संवेदनशील गीत लिखकर कविता के राष्ट्रीय मंच पर दमके प्रमोद तिवारी ने अपना कॅरियर बतौर पत्रकार शुरू किया था। कानपुर से प्रकाशित बड़े समाचार पत्र में बतौर संवाददाता पत्रकारिता शुरू करने वाले प्रमोद तिवारी ने बाद में कई शहरों में बतौर संपादक भी अपने दायित्वों का निर्वहन किया था। कानपुर के पत्रकारपुरम् (कल्याणपुर) मोहल्ले में रहने वाले प्रमोद तिवारी की पहचान अख्खड़ और हाजिरजवाब पत्रकार के रूप में थी। श्री तिवारी के निधन की सूचना मिलते ही उन्नाव पोस्टमार्टम हाउस में सैकड़ों की तादात में चाहने वालों की भीड़ पहुंच गई है। मंगलवार को कानपुर के भैरोघाट पर प्रमोद तिवारी का अंतिम संस्कार किया जाएगा।