सपा शासनकाल में तैयार हुए आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का एलाइनमेंट बनने के दौरान ही एडीएम भू अध्याप्ति के दफ्तर में तैनात कर्मचारियों, लेखपाल, कानूनगो और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों की जमीन औने-पौने दाम पर खरीदकर अपने रिश्तेदारों के नाम करा दी थी। इनमें से कुछ लोगों ने कृषि योग्य भूमि का भू उपयोग परिवर्तन भी करा लिया था, ताकि ज्यादा मुआवजा मिल सके। अब सरकार ने इस मामले में घोटाले की आशंका जताई है। गृह विभाग के अनु सचिव वीरेंद्र सिंह ने जांच के आदेश दिए हैं।
एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि अधिग्रहण से जुड़े दस्तावेजों की पड़ताल के लिए पांच बिंदुओं पर सूचना मांगी है। इसमें आगरा- लखनऊ एक्सप्रेस की अधिसूचना जारी होने से पहले अधिग्रहीत भूमि, कुल भूमि का विवरण, क्रेता विक्रेता के नाम पते एवं जिन किसानों से भूमि क्रय की गई थी उनको दी गई धनराशि की पूरी जानकारी मांगी है। ईओडब्ल्यू ने पूछा है कि आगरा- लखनऊ एक्सप्रेस वे का ले आउट प्लान कब प्रस्तावित हुआ था। इसमें कितने संशोधन हुए। सभी ले आउट प्लान और संशोधनों की प्रतियां भी मांगी गई हैं।
ईओडब्ल्यू एसपी बाबूराम के मुताबिक आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे के भूमि अधिग्रहण में अरबों रुपये के घोटाले की आशंका जतायी गई है। जांच के लिए एक्सप्रेस वे पर अधिग्रहित की गई जमीन, किसानों को दिए गए मुआवजे, किसानों के नाम पते आदि की जानकारी मांगी गई है। आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे से जुड़ी जनपद स्तरीय कोई भी जांच और संबंधित जिलों में एक्सप्रेस वे के लिए अधिकृत भूमि के धारा-4 के नोटिफिकेशन से एक वर्ष पूर्व की पत्रावलियां भी तलब की गई हैं।