पीएफआई सदस्यों के खिलाफ शुरुआती जांच में साफ हो गया है कि पीएफआई नेटवर्क की बड़ी चेन शहर में है। उनकी धरपकड़ के लिए पुलिस ने जाल बिछाना शुरू कर दिया है। अधिकारियों का कहना था कि ऐसे कोई सुबूत नहीं हैं, कि कानपुर में हुई हिंसा के पीछे पीएफआई का हाथ है पर, जब पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई और सर्विलांस की मदद से जांच शुरू की तो पीएफआई के पांच सदस्य गिरफ्त में आये। साफ है कि पहले से पुलिस या खुफिया विभाग के पास पीएफआई से संबंधित कोई इनपुट नहीं था।
पीएफआई को सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) का विंग माना जाता है। सिमी पर प्रतिबंध लगने के बाद पीएफआई का 2006 में गठन हुआ था। सिमी आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है। कानपुर में सिमी की गहरी पैठ थी। यही वजह है कि पीएफआई ने भी शहर को अपना ठिकाना बनाया है। एसआईटी ने आरोपियों के खातों की जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में पता चला है कि आरोपियों के खातों से लाखों रुपये का लेनदेन हाल में ही हुआ है। बैंक से जानकारी मांग पुलिस पता कर रही है कि रकम कहां कहां से आई और किन-किन खातों में ट्रांसफर की गई। आशंका है कि एक-एक आरोपी के कई बैंक खाते हैं।