कई दिन से फिराक में था, गुरुवार की शाम कत्ल किया पुलिस की गिरफ्त में अमित त्रिवेदी ने कबूल किया कि वह रोजगार के लिए परेशान था। ऐसे में उसके मामा ने अपने परिचितों के जरिए राजेंदर कौर के फार्म हाउस में गार्ड की नौकरी दिलाई थी। छह महीने की नौकरी के दौरान अमित ने देखा कि अक्सर ही राजेंदर कौर के पास बड़ी रकम आती थी। यह रकम गुरुवार-शुक्रवार को आती थी, जिसे शनिवार को वह अपने कारखाने में काम करने वाले नौकरों में सप्ताह की तनख्वाह के रूप में बांटने के बाद अन्य लोगों से हिसाब-किताब करती थीं। शेष रकम सोमवार को बैंक में जमा करती थीं। लाखों रुपए का साप्ताहिक टर्न-ओवर देखकर अमित ने लूट का इरादा बनाया। उसे मालूम था कि राजेंदर कौर दबंग महिला हैं, ऐसे में विरोध की स्थिति में हत्या करने के लिए फार्म हाउस में रखी बसूली को अपने पास रख लिया था। बीते सप्ताह शुक्रवार को मोहर्रम के कारण अवकाश था, ऐसे में राजेंदर कौर के पास गुरुवार को रकम पहुंच गई तो अमित ने दोपहर में लूट का प्लान बना लिया।
बचाव के लिए नौकरी से निकालने की फर्जी खबर फैलाई 78 बरस की राजेंदर कौर की चाल-ढाल में ठसक बरकरार थी। आवाज में दबंगई ही उनकी पहचान थी। एक झटके में फैसला सुनाने वाली करोड़पति कारोबारी राजेंदर कौर जुलाई महीने से कानपुर-उन्नाव हाई-वे स्थित अपने छह बीघा के फार्म-हाउस में अकेले रहती थीं। इस परिसर में किसी वक्त अकाल अकादमी नामक स्कूल की फ्रैंचाइजी खोली गई थी। बाद में अनबन के चलते स्कूल बंद हुआ तो राजेंदर कौर ने अपने जूतों का कारोबार यहीं से शुरू कर दिया था। बीते14 साल से अपने पति और बेटे से अलग रहकर कारोबार को बढ़ाने में जुटी राजेंदर कौर में साहस इतना था कि हाई-वे पर छह बीघा जमीन के एक कोने में बने परिसर में बिल्कुल तन्हा रहती थीं। रात में सुरक्षा के लिए सिर्फ अमित त्रिवेदी को नौकरी पर रखा था। अमित ने गुरुवार को लूट की साजिश रचने के बाद अपने मामा और नौकरी दिलाने वाले परिचितों को बताया कि राजेंदर कौर ने उसे नौकरी से निकालकर हिसाब कर दिया है। इसलिए वह फतेहपुर जिले के पैतृक गांव लौट रहा है। चूंकि राजेंदर कौर अक्सर ही नौकरों को निकालती रहती थीं, इसलिए अमित की बात पर संदेह करने की कोई वजह नहीं थी।
लूट का विरोध करने पर बसूली से सिर को दो टुकड़ों में किया अमित ने कबूल किया है कि गुरुवार को नौकरी से निकालने की फर्जी खबर फैलाने के बाद उसने पिता की बीमारी का बहाना बनाकर राजेंदर कौर से तीन दिन की छुट्टी मांगी। इसके बाद परिसर के आसपास घूमता रहा। शाम सात बजे के करीब हल्का अंधेरा होने और परिसर से मजदूरों के लौटने के बाद वह राजेंदर कौर के दफ्तर और कमरे की तरफ गया। उसे मालूम था कि व्यापारियों से मिली रकम राजेंदर कौर कहां रखती हैं। उसे देखकर चौंकी राजेंदर ने गांव नहीं जाने की वजह पूछी तो अमित ने बसूली निकालकर धमकाया और रकम का झोला उठाने के लिए लपका। राजेंदर कौर ने उसे धक्का देकर बाहर निकलने के लिए कहा। साथ ही डंडा उठाने के लिए झुकीं तो अमित ने बसूली से सिर के पिछले हिस्से में जोरदार वार करते उन्हें गिरा दिया। इसके बाद माथे पर एक और वार किया, जिसके कारण राजेंदर कौर की मौत हो गई। हत्या करने के बाद अमित ने राजेंदर कौर के हाथ से सोने का कड़ा उतारा और रकम का झोला उठाकर कानपुर भाग आया। यहां रामादेवी चौराहे पर कुछ देर रुकने के बाद देर रात फतेहपुर चला गया।
पांच किलोमीटर के दायरे में अलग-अलग रहते थे पति और बेटा गौरतल है कि स्वर्ण मंदिर से अमृत चखने के बाद राजेंदर कौर घर में शराबखोरी का विरोध करने लगीं तो गुजरते वक्त के साथ पति त्रिलोचन सिंह से अनबन बढऩे लगी थी तो करीब 14 साल पहले नौबत ऐसी आई कि राजेंदर कौर मीरपुर-कैंट का घर छोडक़र अपनी कमाई से लालबंगला के शक्तिपुरम में कोठी बनाकर रहने लगीं थीं। कुछ समय बाद बेटे राजप्रीत ने प्रेम-विवाह किया तो राजेंदर कौर ने उसे भी घर से निकाल दिया। अलबत्ता बेटे की कमाई के लिए अपनी मेहनत से खड़े किए कारोबार से खुद को अलग कर लिया। मां के घर से दो किमी दूर शिवकटरा- दुर्गा हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाले बेटे ने फैक्ट्री को संभाल लिया तो राजेंदर कौर ने कानपुर-लखनऊ हाई-वे पर उन्नाव सदर कोतवाली के शेखपुर नरी इलाके में छह बीघा जमीन खरीदकर हिमांचल प्रदेश की नामचीन शिक्षण संस्था अकाल अकादमी की फ्रैंचाइजी को स्थापित किया था। सेल्फमेड वूमेन राजेंदर कौर की किसी कारण से अकाल अकादमी से पटरी नहीं खाई तो दो साल में स्कूल बंद हो गया। इसके बाद करीब 20 करोड़ रुपए की जमीन पर उन्होंने जूतों के अपर बनाने का कारखाना खोल दिया। कभी लालबंगला के शक्तिपुरम में तो कभी हाई-वे के सुनसान फैक्ट्री परिसर में राजेंदर कौर अकेले ही जिंदगी गुजरती थीं। कारखाने में आजकल ग्यारह मजदूर काम करने आते थे, जोकि शाम पांच बजे लौट जाते थे। प्रत्येक शनिवार को राजेंदर कौर मजदूरों का हिसाब करती थीं। यूं उन्होंने एक ड्राइवर नीरज तथा सुरक्षा गार्ड अमित त्रिवेदी को भी नियुक्त किया था, लेकिन ड्राइवर को कभी-कभार ही बुलाती थीं। आसपास जाने के लिए वह खुद ही कार चलाती थीं।
बेटी की बातचीत नहीं हुई तो परिचितों को मौके पर भेजा, जहां लाश मिली थी राजेंदर कौर सिर्फ अपनी बेटी हरमीत कौर से बात करती थीं। हरमीत की लखनऊ में शादी हुई है। गुुरुवार को शाम सात बजे के बाद हरमीत ने कई मर्तबा मां को फोन लगाया, लेकिन फोन कनेक्ट नहीं हुआ। ऐसे में उन्होंने अपने परिचित और भाजपा नेता शैलेंद्र त्रिपाठी से रात नौ बजे मदद मांगी। शैलेंद्र ने शक्तिपुरम स्थित घर को देखा तो वहां ताला लगा था। कुछेक सार्वजनिक कार्यक्रम निबटाने के बाद शैलेंद्र अपने भाई धमेंद्र और भतीजे गौरव त्रिपाठी के साथ हाई-वे के फैक्ट्री परिसर पहुंचे तो सुनसान सन्नाटे के बीच अंधेरे में एक स्थान पर हल्की रोशनी दिखी। उधर पहुंचे तो चीख निकल गई। फर्श पर राजेंदर कौर की रक्तरंजित लाश पड़ी थी।