कड़ी सुरक्षा घेरे में रखा गया
माफिया डॉन सुनील राठी पर आरोप है कि उसने मुन्ना बजरंगी को जेल के अंदर गोली मार कर हत्या कर दी है। मुन्ना की हत्या के बाद शासन-प्रशासन हिल गया और हत्यारोपी को बागपत से 14 जुलाई की देररात फतेहगढ़ जेल लाया गया। यहां पर कड़ी सुरक्षा के बीच एक बैरक में रखा गया। बैरक के अंदर व बाहर सीसीटीवी कैमरे के अलावा 15 सुरक्षाकर्मियों की 24 घ्ांटे ड्यूटी लगाई गई है। साथ ही पीएसी की ऐ प्लाटून को भी जेल में तैनात कर दिया गया है। जेल आने के बाद से सुनील राठी अपनी जान को खतरा बता जेल प्रशासन से दूसरी जेल में शिफ्ट करने की मांग करता आ रहा है। पर शासन व प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई नया आदेश नहीं मिला। जेल प्रशासने ने उससे मुलाकात पर रोक लगा दी गई थी। इस दौरान परिवारीजन कई बार मुलाकात को आए लेकिन, उन्हें बैरंग लौटना पड़ा।
जेल प्रशासन ने मिलने की दी अनुमति
दो बार जेल प्रशासन के वापस किए जाने के बाद तीसरी दफा सुनील की मां राजबाला, बहन कोमल व उनका फुफेरा भाई प्रदीप अन्य परिवारीजन के साथ मुलाकात करने के लिए फतेहगढ़ जेल पहुंचे। जेल प्रशासन ने तीन लोगों को ही मुलाकात की अनुमति दी। मां, बहन व फुफेरे भाई ने सुनील राठी से जेल में जाकर मुलाकात की। करीब चार घंटे बाद वे बाहर आए। पहले तो परिवारीजन कुछ भी बताने से कतराते रहे लेकिन, बाद में जाते समय सुनील की मां ने बताया कि उनके पुत्र की जान को खतरा है। उसके कई दुश्मन जेल में पहले से ही बंद हैं। जबकि बहन व फुफेरा भाई प्रदीप स्थानीय वकीलों से मिला और फिर कानपुर आया। सूत्रों की मानें तो शहर के जाने-माने वकील के साथ बैठक कर राठी की दूसरह जेल में शिफ्ट और जमानत को लेकर चर्चा हुई।
कानपुर में राठी के कई लोग
जिस तरह माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी गैंग की पकड़ कानपुर में थी, उसी तरह सुनील राठी के लोग भी यहां पर हैं। सुनील राठी के रिश्तेदार भी कानपुर में रहते हैं और वो भी मुलाकात के लिए फतेहगढ़ जेल गए पर उन्हें जेल प्रशासन ने मिलने नहीं दिया। सूत्रों की मानें तो जेल के आसपास मुहं ढके लोग बड़ी संख्या में चाय की दुकानों में देखे जा सकते हैं। इसी के बारण पुलिस-प्रशासन ने जेल के आसपास की सभी दुकानों और यहां-आने जाने वाले लोगों पर नजर अड़ा दी है। सूत्रों की मानें तो राठी जेल में बहुत शांत रहता है और ज्यादा किसी से बातचीत नहीं करता। सुबह के वक्त वो बैरक के अंदर कसरत करता है और फिर चाय की डिमांड करता है। जेल मैनुवल के तहत राठी को भोजन दिया जाता है। सूत्रों की मानें तो उसकी मां कुछ खाने पीने का सामान लेकर आई थीं पर जेल प्रशासन ने अंदर नहीं ले जाने दिया।
इस तरह अपराध की दुनिया में रखा कदम
मुन्ना बजरंगी की तरह सुनील राठी ने भी 21 साल की उम्र से ही हथियार उठा लिए थे। टीकरी कस्बा निवासी सुनील राठी के पिता एवं टीकरी के चेयरमैन नरेश राठी सहित तीन लोगों की 12 दिसंबर 1999 को चुनाव की रंजिश में हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस के बर्खास्त सिपाही रणवीर राठी का नाम सामने आया था। इसके बाद सुनील राठी की मां राजबाला चौधरी ने वर्ष 2000 नगर पंचायत का चुनाव लड़ा। उनके सामने टीकरी के चेयरमैन सोमपाल राठी के भाई महक सिंह खड़े थे। 21 जून 2000 में सुनील राठी ने अपने साथियों के साथ मिलकर महक सिंह और उसके भाई मोहकम सिंह की हत्या कर दी। इस डबल मर्डर में सुनील राठी आजीवन कारावास की सजा कोर्ट ने सुनाई। 18 अगस्त 2000 में सुनील राठी ने दिल्ली में शोरूम लूटा था। विरोध करने पर तीन लोगों की गोली मारकर हत्या की। इसके बाद से वह जुर्म की दुनिया में धंसता चला गया। उत्तराखंड, दिल्ली, यूपी समेत अन्य राज्यों में भी उसने अपना आपराधिक नेटवर्क खड़ा किया। लेकिन वर्ष 2000 में पुलिस ने उसे हरिद्वार के कनखल की शिवपुरी कॉलोनी से गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद उसने जेल के अंदर से ही अपना गिरोह सक्रिय रखा।
…तो अफसरों के पकड़ लेता है पैर
वर्ष 2000 में पुलिस के हत्थे चढ़े सुनील राठी के कब्जे से तब हेंड ग्रेनेड (बम) बरामद हुआ था, ऐसे में राठी के आपराधिक छवि का अंदाजा साफ-साफ लगाया जा सकता है। कुख्यात सुनील राठी के नाम का इस्तेमाल एटीएम की तर्ज पर होता रहा है। राठी के गैंग में नए-नए युवाओं की एंट्री भी होती रही है। राठी के लिए हत्याएं करने वाले शूटरों की टीम अलग होती है, लेकिन उसके नाम को अपराध जगत का ब्रांड बनाकर बेचने वाले चेहरे अलग हैं। शातिर सुनील राठी अपराध को कभी खुद अंजाम नहीं देता, बल्कि अपने गुर्गों से हत्या, फिरौती जैसे बड़े अपराध करवाता है। रियल इस्टेट और अवैध खनन में भी उसका सीधा नाम नहीं जुड़ता है। अलबत्ता खास गुर्गे उसके इशारे पर कारोबार चलाते हैं। अफसरों की मानें तो राठी कभी क्रोधित नहीं होता. पूछताछ में घिर जाता है तो अफसरों के पैर पकड़ने से भी नहीं हिचकता।