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गोलियों से बजरंगी का शरीर था छलनी, डॉन ने आंख खोल मचा दी खलबली

locationकानपुरPublished: Jul 09, 2018 04:39:54 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

सुनील राठी ने बागपत जेल में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की गोली मरकर की हत्या, जरायम की दुनिया में चर्चाओं का दौर शुरू

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गोलियों से बजरंगी का शरीर था छलनी, डॉन ने आंख खोल मचा दी खलबली

कानपुर। माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई। डॉन की हत्या से अधिकारियों के साथ ही जरायम की दुनिया में भी हड़कंप मच गया। कानपुर में डॉन का गहरा नाता रहा और यहां भी उसके खिलाफ आधा दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। मुन्ना शहर में रेलवे की ठेकेदारी में पैसा वसूलता है। पूर्वांचल के बाहुबली बजरंगी का बुलेट के साथ ही बैलेट से भी गहरा नाता रहा। कई राजनीतिक दलों के अंदर इसकी पैठ थीं। यूपी के सीएम कल्याण सिंह थे और उन्होंने मुन्ना बजरंगी के सिर पर पांच लाख का इनाम रख दिया। इनामी मुन्ना बजरंगी को दिल्ली और यूपी पुलिस की सयुंक्त टीम ने समयबादली थाना क्षेत्र में 11 सितम्बर 1998 को एक मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था। पुलिस ने बकाएदा प्रेस के जरिए उसकी मौत की सूचना भी जारी कर दी। पर जब पुलिस उसके शव को लेकर राममनोहर लोहिया अस्पताल पहुंची, तभी उसने आंखें खोल दीं। मुन्ना बजरंगी के शरीर पर एक दर्जन गोलियां लगी थीं, बावजूद उसने पुलिस के साथ यमराज को मात देने में कामयाब रहा था।
पुलिस से बचने के लिए मौत का किया ड्रामा
पूर्वांचल का माफिया डान मुन्ना बजरंगी का सोमवार को जेल के अंदर गोली मार कर कत्ल कर दिया गया। डॉन की मौत की खबर जैसे बाहर आई वैसे लखनऊ से लेकर कानपुर हिल गया। जरायम की दुनिया के उसके साथी खौफजदा हो गए और हत्या की वजह जानने के लिए अपने करीबियों से जानकारी लेने लगे। मुन्ना बजरंगी के साथ रहे बाबू नाटा जो जेल से बरी होकर बाहर आकर दुकान के जरिए अपना जिंदगी काट रहा है, ने बताया कि डॉन को पकड़ना मुमकिन ही नहीं नामुकिन था। बाबू नाटा ने बताया कि 1998 में कल्याण सिंह यूपी के सीएम थे और उन्होंने मुन्ना को जिंदा-मुर्दा पकड़ने का आदेश दिया हुआ था। दिल्ली और लखनऊ की पुलिस ने उसे मार गिराने का जाल बिछाया। जाल में डॉन फंस गया और पुलिस ने उसके शरीर पर दर्जनभर गोलियां दाग दीं। मृत समझ कर पुलिस उसके शव को अस्पताल लेकर आई, जहां डॉक्टरों को देख उसने आंख खोल दीं। जिससे उसने यमराज के साथ-साथ पुलिस को भी चकमा दिया था।
कौन था मुन्ना बजरंगी
मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है। उसका जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे। मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी ने उनके अरमानों को कुचल दिया। उसने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। किशोर अवस्था तक आते आते उसे कई ऐसे शौक लग गए जो उसे जुर्म की दुनिया में ले जाने के लिए काफी थे। बाबू नाटा बताते हैं कि मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था। वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगस्टर बनना चाहता था। यही वजह थी कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा। वह जरायम की दलदल में धंसता चला गया।
जरायम की दुनिया से गहरा नाता
पूर्वांचल का जरायम की दुनिया से गहरा नाता है। माफिया डॉन सुभाष ठाकुर, बाहुबली बृजभूषण शरण सिंह, मोख्तार अंसारी, बृजेश सिंह, मुन्ना बजरंगी, राजा भइया, अतीक अहमद, समेत कई ऐसे बड़े नाम हैं जो राजनीति की दुनिया में गहरी दखल रखते हैं। ऐसे में इनका कोई भी कदम राजनीति की दुनिया में खलबली मचा देता है। जौनपुर जिले के सुरेरी थाना क्षेत्र के पूरे दयाल कसेरू गांव के पारसनाथ सिंह के बेटे मुन्ना बजरंगी और उसके साथियों ने 29 नवम्बर 2005 को गाजीपुर जिले में मोहम्मदाबाद क्षेत्र के विधायक कृष्णानन्द राय की हत्या की तो उसका नाम सुर्खियों में आ गया। इसके बाद उसने नेपाल में एक पूर्व मंत्री के घर शरण ली। आपराधिक सफर में मुन्ना के इतने किस्से हैं जिनके लिए पन्ने कम पड़ जायेंगे। एक बार तो यमराज को भी धता बताकर वह वापस लौट आया।
मजदूर से लेकर डॉन तक का सफर
बेहद गरीबी में अपनी जिंदगी की शुरूआत करने वाले मुन्ना ने भदोही के कालीन व्यापारियों के यहां मजदूरी की। जब अपराध में उसका दबदबा बढ़ा तो वही व्यापारी के उसके फाइनेंसर और संरक्षण दाता हो गये। मुन्ना ने क्षेत्र के टपोरियों के साथ मिलकर गैंग बनाया और बाद में माफिया विधायक मुख्तार अंसारी तक पहुंच गया। 1984 में जौनपुर जिले के रामपुर थाना क्षेत्र में मुन्ना ने एक व्यक्ति की हत्या कर लूटपाट की। 1993 में उसने ब्लाक प्रमुख रामचन्द्र सिंह की हत्या कर दी और उनके असलहे लेकर भाग गया। 1995 में मुन्ना ने वाराणसी के कैण्ट थाना क्षेत्र में दो लोगों की हत्या कर सनसनी फैला दी। 24 जनवरी 1995 को उसने अपने जिले के जमलापुर गांव में ब्लाक प्रमुख कैलाश दुबे की हत्या कर दी। वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र में काशी विद्यापीठ छात्रसंघ के अध्यक्ष रामप्रकाश पाण्डेय और पूर्व अध्यक्ष सुनील राय समेत चार लोगों की हत्या के बाद तो उसके दहशत की तूती बोलने लगी।
दाउद ने दी थी सलेम को मारने की सुपारी
डॉन मुम्बई में गुजरात के ड्रग माफिया अनिरूद्ध जडेजा के सम्पर्क में आया। इसके बाद तो मामूली पढ़ा लिखा मुन्ना हाईटेक हो गया। विदेशी असलहों के साथ दिल्ली, मुम्बई, गुजरात, कर्नाटक, मंगलौर, इंदौर, भोपाल जैसे इलाकों को उसने अपनी आपराधिक गतिविधियों का केन्द्र बना लिया। ठेके पर हत्या करना उसका सबसे बड़ा कारोबार बन गया। 1998 से लेकर 28 मई 2001 तक मुन्ना जेल में रहा और फिर जमानत पर रिहा हुआ। अबू सलेम की जब पुर्तगाल में गिरफ्तारी हुई और उसे भारत लाया गया तब डी कम्पनी ने उसे रास्ते से हटाने की ठान ली। पूर्वाचल के शूटरों के बल पर अपना सब काम कराने वाले दाऊद इब्राहीम ने मुन्ना बजरंगी को आपरेशन सलेम का ठेका सौंपा। बजरंगी ने सलेम को रास्ते से हटाने की योजना बनायी तब तक उसे दूसरी चुनौती मिली, जो वह पूरी नहीं कर पाया।
बबलू श्रीवास्तव से थे अच्छे रिश्ते
माफिया डान ओमप्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू ने भी मुन्ना की जान बचाने में मदद की। तब जब 11 सितम्बर 1998 को मुन्ना को मारा गया था तब ब्रजेश दाऊद गैंग से जुड़ा था और मुन्ना ने छोटा राजन का काम संभाल लिया था। छोटा राजन के कहने पर नैनी जेल में बंद बबलू ने दिल्ली में अपने लोगों को मुन्ना की मदद के लिए लगाया था। यह बात बहुत लोग जानते हैं कि नैनी जेल में बबलू फोन का खूब दुरुपयोग करता था। इसी आरोप में एक जेल अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई भी हुई। बजरंगी ने अपनी पहली पत्नी को छोड़ सुल्तानपुर जिले में एक बड़े अपराधी की बहन से शादी की। उसकी स्मार्ट पत्नी भी उसके धंधे को चमकाने में सक्रिय रहती थी।

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