कानपुर के पहले महामंडलेश्वर
पनकी हनुमान मंदिर के महंत जीतेंद्र दास 2019 में महामंडलेश्वर बन जाएंगे। वो कानपुर के पहले महामंडलेश्वर होंगे, जिन्हें ये उपाधि मिलेगी। इसके लिए महंत ने वस्त्र और अन्य का परित्याग कर जप-तपक र रहे हैं। महामंडलेश्वर बनने के लिए उन्हें तीन करोड़ हनुमान महामंत्र का जप करना होगा। मंदिर के पुजारी ने बताया कि महंत जितेंद्र दास दिगंबर अखाड़ा (अयोध्या) से जुड़े हैं। यह अखाड़ा जगद्गुरु रामानुजाचार्य (वैष्णव) का है। वर्तमान में देशभर में दस हजार मंदिरों में इस अखाड़े के महंत हैं। महंत के बाद अगला पद महामंडलेश्वर का होता है।
उज्जैन में हुआ था चयन
मंदिर के पुजारी ने बताया कि महंत जीतेंद्र दास का चयन वर्ष 2016 में उज्जैन में हुए कुंभ के दौरान गुरु नृत्यगोपाल दास ने किया था। महंत जीतेंद्र दास 400 वें महामंडलेश्वर बनेंगे। उज्जैन में उन्हें तीन करोड़ हनुमान महामंत्र का जप करने के साथ वस्त्र और अन्न त्यागने को कहा गया था। महंत 20 मई 2016 से महामंत्र का लगातार जप कर रहे हैं। पिछले दो सालों से वो मंदिर से बाहर नहीं गए और अंदर ही अधिकतर समय बिता रहे हैं।
ऐसे बनते हैं महामंडलेश्वर
साधू और संत को महामंडलेश्वर की उपाधि के लिए कठिन तपस्या से गुजराना होता है। जिस दिन उनका चयन इस पद के लिए हो जाता है उसके बाद उन्हें सिले वस्त्रों को परित्याग करने के साथ दिन में सिर्फ एक बार भोजन करना होता है। इसके अलावा जहां पर उनका जन्म हुआ है उस स्थल पर जाने में रोक होती है। इसके अलावा चयनित संत अपने परिवार से नहीं मिल सकता। 24 घंटे में मात्र चार घंटे ही आराम करने का समय मिलता है। इसके अलावा अन्य सुख-सुविधा का परित्याग करने के बाद ही महामंडलेश्वर की उपाधि संत को मिलती हे।