मान्यता है कि परमठ स्थित सूर्यदेव मंदिर में जिस भक्त ने भोर पहर गंगा में स्नान-ध्यान कर खिचड़ी का प्रसाद चढ़ाया है, उसका सितारा पूरे वर्ष चमकता रहता है। सूर्यदेव मंदिर के पुजारी राजीश शुक्ला ने बताया कि गंगा के किनारा यह एकलौता सूर्य मंदिर है। यहां पर सुबह से लेकर देर शाम तक भक्तों का तांता लगा रहता है। पुजारी बताते हैं, कि उनके पिता जी पहले इस मंदिर की देखरेख किया करते थे। पिता ने बताया था कि अंग्रेजों के खिलाफ आजादी के लड़ाई का प्रमुख केंद्र कानपुर हुआ करता था। उसी दौरान पंडित चंद्रशेखर आजादी अपने एक मित्र के साथ परमठ मंदिर आए और गंगा में डुबकी लगाकर भगवान सूर्यदेव को खिचड़ी का भोग लगाया था।
पंडित चंद्रशेखर आजाद ने मांगी थी मन्नत
मंदिर के पुजारी राजीश शुक्ला ने बताया कि अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहे महान क्रांतिकारी पंडित चंद्रशेखर आजाद मकर संक्राति के अवसर पर यहां आए थे और गंगा में डुबकी लगाकर भगवान सूर्य के चरणों में खिचड़ी का भोग लगा कर अपने मिशन को पूरा करने की लिए मन्नत मांगी थी।
मंदिर के पुजारी राजीश शुक्ला ने बताया कि अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहे महान क्रांतिकारी पंडित चंद्रशेखर आजाद मकर संक्राति के अवसर पर यहां आए थे और गंगा में डुबकी लगाकर भगवान सूर्य के चरणों में खिचड़ी का भोग लगा कर अपने मिशन को पूरा करने की लिए मन्नत मांगी थी।
वेष बदलकर आये थे चंद्रशेखर आजाद
पुजारी बताते हैं कि पंडित चंद्रशेखर आजाद रूप बदल कर आए थे। पिता जी उन्हें देखते ही पहचान गए और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करवाई। इसके बाद पंडित चंद्रशेखर आजाद कई घटे यहां रुके और खिचड़ी खाकर देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए निकल गए।
पुजारी बताते हैं कि पंडित चंद्रशेखर आजाद रूप बदल कर आए थे। पिता जी उन्हें देखते ही पहचान गए और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करवाई। इसके बाद पंडित चंद्रशेखर आजाद कई घटे यहां रुके और खिचड़ी खाकर देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए निकल गए।
कई क्रांतिकारी यहां मनाते थे मकर संक्रांति
पुजारी बताते हैं कि आजादी के दौरान यहां पर कई क्रांतिकारी मकर संक्रांति पर्व पर आते थे और पर्व का आनंद गंगा के तट से उठाते। पुजारी ने बताया कि महान क्रांतिकारी गणेश शंकर वि़द्यार्थी जी इस पर्व पर गंगा में स्नान ध्यान ? कर सूर्यदेव के चरणों में खिचड़ी का भोग लगाते थे। पुजारी ने बताया कि पिता जी से विद्यार्थी जी के साथ अच्छी मित्रता थी। इसी के चलते उन्होंने खिचड़ी में दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पकाने की सलाह दी। यह व्यंजन काफी पौष्टिक और स्वादिष्ट था। इससे शरीर को तुरंत उर्जा भी मिलती थी।
पुजारी बताते हैं कि आजादी के दौरान यहां पर कई क्रांतिकारी मकर संक्रांति पर्व पर आते थे और पर्व का आनंद गंगा के तट से उठाते। पुजारी ने बताया कि महान क्रांतिकारी गणेश शंकर वि़द्यार्थी जी इस पर्व पर गंगा में स्नान ध्यान ? कर सूर्यदेव के चरणों में खिचड़ी का भोग लगाते थे। पुजारी ने बताया कि पिता जी से विद्यार्थी जी के साथ अच्छी मित्रता थी। इसी के चलते उन्होंने खिचड़ी में दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पकाने की सलाह दी। यह व्यंजन काफी पौष्टिक और स्वादिष्ट था। इससे शरीर को तुरंत उर्जा भी मिलती थी।
इसलिये मनाते हैं मकर संक्रांति
पुजारी ने बताया कि सूर्यदेव जब धनु राशि से मकर पर पहुंचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि पर जाने का महत्व इसलिए अधिक है, क्योंकि इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है। उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है। बताया, 14 जनवरी ऐसा दिन है, जब धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है। जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर खराब माना गया है, लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर की ओर गमन करते लगता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं।
पुजारी ने बताया कि सूर्यदेव जब धनु राशि से मकर पर पहुंचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि पर जाने का महत्व इसलिए अधिक है, क्योंकि इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है। उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है। बताया, 14 जनवरी ऐसा दिन है, जब धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है। जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर खराब माना गया है, लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर की ओर गमन करते लगता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं।
ऐसे मिलता है पुण्यफल
पुजारी ने बताया कि इस पर्व पर पर गुड़ और तिल लगाकर गंगा में स्नान करना लाभदायी होता है। इसके बाद दान संक्रांति में गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता आदि दान करने से लाभ मिलता है और पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
पुजारी ने बताया कि इस पर्व पर पर गुड़ और तिल लगाकर गंगा में स्नान करना लाभदायी होता है। इसके बाद दान संक्रांति में गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता आदि दान करने से लाभ मिलता है और पुण्यफल की प्राप्ति होती है।