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लॉकडाउन में खुला है एक रेस्त्रां, यहां परदेसियों को मिलता है पसंदीदा व्यंजन

locationकानपुरPublished: May 07, 2020 11:19:33 am

कानपुर के चिडिय़ाघर के रैप्टल रेस्त्रां में मीलों की दूरी तय करके पहुंचे गिद्ध

लॉकडाउन में खुला है एक रेस्त्रां, यहां परदेसियों को मिलता है पसंदीदा व्यंजन

लॉकडाउन में खुला है एक रेस्त्रां, यहां परदेसियों को मिलता है पसंदीदा व्यंजन

कानपुर। शहर के चिडिय़ाघर में बना रैप्टल रेस्टोरेंट इन दिनों परदेसियों का ठिकाना बना हुआ है। लॉकडाउन के कारण चिकन और मटन की दुकानें बंद होने से जब भोजन का संकट खड़ा हुआ तो ये परदेसी मीलों का सफर तय कर चिडिय़ाघर के रैप्टल रेस्त्रां का भोजन उड़ाने आ पहुंचे हैं। ये हैं विभिन्न दुर्लभ प्रजातियों के गिद्ध। कानपुर चिडिय़ाघर पहुंचने वाले गिद्धों में चार ऐसी प्रजातियों के परदेसी गिद्ध भी शामिल हैं जो पहली बार नजर आ रहे हैं। शहर में कई वर्षों से गिद्ध नहीं दिख रहे थे, जो अब नजर आ रहे हैं। चिडिय़ाघर के अलावा सालों बाद मेडिकल कॉलेज के अस्पताल हैलट परिसर में भी गिद्ध जमा हो रहे हैं। लॉकडाउन के कारण शांत वातावरण भी इनके यहां तक आ पहुंचने का कारण माना जा रहा है।
गिद्धों का था अलग महत्व
पुराने जमाने में गिद्धों को का महत्व माना जाता था। ये झुंडों में रहने वाले ऐसे मुर्दाखेर पक्षी होते हैं, जिनसे कोई भी गंदी और घिनौनी चीज खाने से नहीं बचती। ये पक्षियों के मेहतर हैं जो सफाई जैसा आवश्यक काम करके बीमारी नहीं फैलने देते। ये गिद्ध ही हमारे आसपास की गंदगी और मरे हुए जानवरों को साफ कर जाते थे, जिससे वातावरण शुद्ध रहता है। इस कारण पुराने जमाने में इन्हें समाज में महत्वपूर्ण स्थान मिला हुआ था।
विलुप्त होने लगे ये पक्षी
यह पक्षी कुछ साल पहले अपने पूरे क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में थे। 1990 के दशक में इस जाति का पतन हो गया है। इसका मूलत: कारण पशु दवाई डाइक्लोफिनॅक है जो कि पशुओं के जोड़ों के दर्द को मिटाने में मदद करती है। जब यह दवाई खाया हुआ पशु मर जाता है और उसको गिद्ध खाता है तो उसके गुर्दे बंद हो जाते हैं और वह मर जाता है। अब नई दवाई मॅलॉक्सिकॅम आ गई है और यह हमारे गिद्धों के लिये हानिकारक भी नहीं हैं।
२०१८ में खुला था रेस्टोरेंट
कानपुर चिडिय़ाघर की सफारी में गिद्धों के संरक्षण के लिए वर्ष 2018 में रैप्टल रेस्टोरेंट बनाया गया था। साथ ही एक तालाब भी तैयार किया गया था, ताकि गिद्ध यहीं पर ठहर जाएं। इसके साथ ही रैप्टल रेस्टोरेंट बन जाने से यहां इजिप्शियन वल्चर और चील बड़ी संख्या में आए थे। बाद में इसे बंद करा दिया गया था। इसके साथ ही कुछ महीने पहले इसको फिर खोल दिया गया। जू के वरिष्ठ डॉ. यूसी श्रीवास्तव का कहना है कि शांत माहौल और उनका पसंदीदा खाना मिलने से कई प्रजातियों के दुर्लभ गिद्ध भी आ गए हैं।
इन प्रजातियों के गिद्ध पहुंचे चिडिय़ाघर
चिडिय़ाघर में दुर्लभ हिमालयन ग्रिफॉन वल्चर, स्लेंडर बिल्ड वल्चर, बिअरडेड वल्चर और राज गिद्ध देखा गया है। यह पहली बार कानपुर चिडिय़ाघर में आए हैं। पहले यहां इजिप्शियन गिद्ध और इंडियन वल्चर ही आते थे। इजिप्शियन गिद्ध पूरे यूपी में पाया जाता है, जबकि ग्रिफॉन गिद्ध हिमालय व असम में विचरण करता है। बिअरडेड गिद्ध राजस्थान के साथ दक्षिण भारत में और स्लेंडर बिल्ड गिद्ध गुजरात राजस्थान और एमपी में देखने को मिलता है। इसके अलावा मध्यप्रदेश और चंबल इलाके में राज गिद्ध अच्छी संख्या में पाया जाता है।
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