एटीएस ने एक महीना पहले भोपाल से बच्चा के सहयोगी दंपति को गिरफ्तार किया है। उनसे कड़ी पूछताछ के बाद शहर में गिरोह के सक्रिय होने की जानकारी मिली है। बच्चा भी शहर में १० साल पहले पकड़ा गिरफ्तार किया गया था, जबकि उसकी सहयोगी सीमा आजाद और उसके पति विश्वविजय को इलाहाबाद से पकड़ा गया था। बच्चा के मामले का अभी तक ट्रायल हो रहा है।
नक्सली गिरोह के सदस्य ऐसे लोगों को चिन्हित कर रहे हैं जो सरकार और व्यवस्था से बेहद नाराज हैं, या जिनके परिवार पर सरकार और प्रशासन के कारण कोई मुसीबत आ पड़ी हो। ऐसे लोगों को भड़काकर अपने साथ मिलाना बेहद आसान है। इसलिए ये लोग निम्र और कम पढ़े लिखे लोगों के बीच पैठ बना रहे हैं। हालांकि कुछ नामचीन लोगों से भी इनके तार जुड़े हुए हैं, इन्हीं बड़े लोगों से नक्सलियों की फंडिंग भी होती है।
नक्सलियों के निशाने पर शहर का युवा वर्ग है। ज्यादा से ज्यादा युवाओं का किसी भी तरीके से ब्रेनवॉश कर उनके मन में देश और सरकार के खिलाफ जहर भरा जा रहा है। कोचिंग की आड़ में ऐसा करना ज्यादा आसान है, क्योंकि इसमें किसी को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिल सकता कि वे इस काम में शामिल हैं।
शहर के दक्षिणी इलाके को नक्सली अपने लिए मुफीद मानते हैं। साकेतनगर, मछरिया और नौबस्ता में इनके लिए छिपे रहना ज्यादा आसान है। ऐसे इलाके जहां हाल फिलहाल के कुछ वर्षों में ही आबादी का इलाका विकसित हुआ हो वहां ये पहचान बदलकर भी आसानी से रह सकते हैं। क्योंकि ऐसे इलाको में लोग एक दूसरे को बहुत कम जानते हैं।