एक माह की छुट्टी बिताकर वापस गया था रोहित वहीं शहीद के परिजनों ने बताया कि शहीद रोहित यादव 1 माह की छुट्टी लेकर घर आया था। छुट्टियां बिताने के बाद वह 16 अप्रैल को ड्यूटी के लिए पहुंचा था। उन्होंने बताया रोहित वर्ष 2011 में सेना में भर्ती हुआ था और दो वर्ष पूर्व ही 25 अप्रैल 2016 को रोहित की वैष्णवी से शादी हुई थी। अभी रोहित के कोई संतान नही थी। हँसमुख होने के साथ वह खेलकूद में निपुण था। रोहित सरल स्वभाव का होने के साथ अपने पिता के कार्यों में सहयोग करता था। वहीं शहीद के पिता ने बताया कि मेरे बेटे की यूनिट से फोन आया कि रोहित को आतंकियों से मुठभेड़ करते समय गोली लग गई है, जिसे हॉस्पिटल ले जाया गया है। थोड़ी देर बाद फोन द्वारा बताया गया कि आपका बेटा रोहित शहीद हो गया है। हमको गर्व है कि मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ लेकिन एक पिता होने के नाते गम भी है कि मेरा बेटा अब मेरे साथ नही हैं।
बिलखते हुए रिटायर्ड फौजी पिता ने बताया मेरा बेटा खेलकूद में ज्यादा रुचि रखता था और हमारे कार्यों में सहयोग करता था। यहां तक कि वह अपनी पूरी तनख्वाह मुझे सौंप देता था। वहीं शहीद के पिता ने सेना पर आरोप लगाते हुए बताया कि पुलवामा में 2 साल की तैयारी के लिए भेजा गया था। 2 साल पूरे हो गए थे, जिसका रिलीज ऑर्डर करीब 1 हफ्ते पहले रिलीज हो गया था, लेकिन व रिलीज ऑर्डर बटालियन तक नहीं पहुंच सका। जिसके कारण मेरा बेटा वहीं तैनात बना रहा। अगर रिलीज ऑर्डर समय से पहुंच जाता है तो शायद आज मेरा बेटा जीवित होता। उन्होंने कहा कि सेना के सिस्टम में सुधार होना चाहिए और शहीद जवानों का पार्थिव शरीर 24 घण्टे के समय से घर पहुंचा देना चाहिए, जो अभी नहीं हो पा रहा है। शहीद का पार्थिव शरीर घर तक आते-आते हफ्तों लग जाते हैं। इस वजह से शहीदों के घरों में परिजनों का हाल बेहाल हो जाता है।