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इन दो प्लॉन के जरिए उपचुनाव फतह करेंगी मायावती

locationकानपुरPublished: Jul 03, 2019 12:00:45 am

Submitted by:

Vinod Nigam

बसपा सुप्रीमो ने दो जुलाई को सेक्टर मंडल व जिला प्रभारियों की लखनऊ में बुलाई थी बैठक,, इन नेताओं को कानपुर और झांसी की दी गई जिम्मेदारी।

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इन दो प्लॉन के जरिए उपचुनाव फतह करेंगी मायावती

कानपुर। लोकसभा चुनाव के बाद अब यूपी की विधानसभा की 12 सीटों में होने वाले उपचुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल जुट गए हैं। उद्योगनगरी के नाम से पहचाने वाले कानपुर में बसपा कभी नहीं जीती। इसी के चलते पार्टी प्रमुख ने मंगलवार को लखनऊ में पदाधिकारियों के साथ बैठक की। यहां गोविंदनगर के अलावा 11 अन्य सीट पर जीत के लिए दो प्लॉन पर मंथन किया गया। पहला, सपा व कांग्रेस के नेताओं को पार्टी में ज्यादा से ज्यादा संख्या में जोड़ना तो वहीं 2007 की तरह दलित, सवर्ण और मुस्लिम उम्मीदवार के साथ मैदान में उतर कर जीत दर्ज करना।

गोविंदनगर सीट में होना है चुनाव
ब्राम्हण बाहूल्य गोविंद नगर सीट से 2017 में चुनाव जीते सत्यदेव पचौरी को भाजपा ने लोकसभा का टिकट दिया था। पचौरी कानपुर नगर से सांसद चुने गए हैं। जिसके चलते अब इस सीट पर उपचुनाव होना है। भाजपा के पास दर्जनभर से ज्यादा दावेदार टिकट मांग रहे हैं तो कई कांग्रेसी अभी से अंदरखाने पंजे का सिंबल पाने के लिए जुटे हुए हैं। जबकि सपा के कार्यकर्ता खामोश हैं तो वहीं बसपा उपचुनाव को गंभीरता से लेते हुए यूपी में अपने आपको भाजपा के प्रतिद्धंदी के रूप में पेश करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है। पार्टी इस सीट से किसी ब्राह्मण या सवर्ण को मैदान में उतारना चाहती है। सूत्र बताते हैं कि सपा के एक ब्राम्हण चेहरे को मायावती टिकट देकर चुनावी अखाड़े में उतार सकती हैं।

कार्यकर्ताओं को किया तलब
इन सभी मसलों को हल करने के लिए पार्टी की प्रमुख मायावती ने दो जुलाई को कानपुर मंडल के सभी प्रमुख पदाधिकारियों को लखनऊ बुलाया था। पार्टी पदाधिकारियों को भेजे गए निर्देश में मायावती ने कहा था कि वे अपने क्षेत्र के उन विधानसभा क्षेत्रों की पूरी डिटेल के साथ आएं, जहां पर उप चुनाव संभावित हैं। कानपुर के साथ कई और मंडलों के पदाधिकारियों को भी बुलाया गया था। बैठक के दौरान जमीनी हकीकत परखी गई और पार्टी की रणनीति के बारे में पदाधिकारियों को अवगत कराया गया।

दिया गया है टारगेट
पार्टी प्रमुख ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के कद्दावर नेताओं के अलावा बूथ के कार्यकर्ताओं को पार्टी की सदस्यता दिलाने का टारगेट पदाधिकारियों को दिया गया है। लखनऊ में सेक्टर, मंडल और जिला प्रभारियों की बैठक के दौरान पार्टी सुप्रीमो ने उम्मीदवार के नाम के चयन के अलावा संगठन के विस्तार पर चर्चा की। सूत्रों की मानें तो सपा का एक ब्राम्हण चेहरा हाथी की सवारी करता हुआ नजर आ सकता है। इसके अलावा सपा व कांग्रेस के कई नेता आने वाले दिनों में बसपा के साथ जा सकते हैं।

ताकत के साथ चुनाव में उतरेगी बसपा
पहली बार विधानसभा का उपचुनाव लडऩे जा रही पार्टी भाजपा, सपा और कांग्रेस से पहले अपने उम्मीदवार का नाम घोषित करना चाहती है। ताकि पार्टी का उम्मीदवार क्षेत्र में अपनी तैयारियां ठीक से कर सके और मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बना सके। बसपा के एक नेता ने बताया कि बैठक के दौरान प्रत्येक दावेदार की मजबूती और उसकी कमजोरी का भी आकलन किया गया। बूथ स्तर तक पार्टी के संगठन को और बेहतर बनाने पर भी मंथन हुआ। किस तरह मतदाताओं के बीच पार्टी प्रमुख मायावती की नीतियों को जनता तक पहुंचना है और केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों को जनविरोधी बताना है इसकी रणनीति भी बनीं।

2007 की तरह लड़ेंगे उपचुनाव
बसपा प्रमुख ने पार्टी के पदाधिकारियों से कहा है कि सपा, कांग्रेस व अन्य दलों के नेताओं को भी पार्टी में शामिल कराएं। ऐसे नेता जो किन्हीं कारणों से घर बैठ गए हैं उन्हें फिर से सक्रिय करें। सूत्रों की मानें तो पार्टी 2007 की तरह विधानसभा का उपचुनाव लड़ने का पूरा प्लॉन तैयार किया है। पार्टी ब्राम्हण, क्षत्रीय, वैश्य के अलावा मुस्लिम समुदाय के लोगों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में जोड़ रही है। बसपा की एक टीम सोशल मीडिया में भी एक्टिव है और वो सवर्ण मतदाताओं को मायावती सरकार के कार्यकाल की पूरी जानकारी दे रहे हैं।

कानपुर की इन्हें मिली जिम्मेदारी
बसपा सुप्रीमो मायावती ने पश्चिम यूपी व बुंदेलखंड के पदाधिकारियों व जिम्मेदार नेताओं की बैठक में लोकसभा चुनाव बाद राज्य स्तर पर लागू की गई सेक्टर व्यवस्था समाप्त कर जोन व्यवस्था लागू करने का एलान किया। प्रत्येक जोन में तीन मंडल शामिल होंगे। प्रत्येक जोन की टीम में चार से पांच इंचार्ज बनाए गए हैं। मायावती ने विधानसभा आम चुनाव-2022 की तैयारियों पर फोकस करते हुए सांगठनिक कामकाज की नियमित समीक्षा शुरू कर दी है। कानपुर, चित्रकूट व झांसी के आरएस कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष बसपा, गयाचरण दिनकर, तिलकचंद्र अहिरवार व जितेंद्र शंखवार जोन इंचार्ज बनाए गए हैं।

2007 में भी नहीं जीती थी बसपा
2007 के विधानसभा चुनाव में जहां बसपा प्रचंड बहुमत के साथ यूपी की सत्ता में आई थी, लेकिन कानपुर नगर की पांच में एक भी सीट पर जीत नहीं दर्ज की थी। यही हाल 2012 के विधानसभा चुनाव में भी रहा। दो पर समाजवादी पार्टी, एक पर कांग्रेस और तीन पर भाजपा की जीत हुई थी। जबकि 2017 के चुनाव में पांच में तीन सीटों पर बसपा की जनानत तक जप्त हो गई थी। विधानसभा में मिली हार के चलते मायावती ने अखिलेश के साथ गठबंधन कर 2019 के चुनावी अखाड़े में उतरीं, लेकिन इस पर भी जनता ने हाथी के बजाए भाजपा के पक्ष में मतदान किया।

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