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यूपी की इस महिला नेता ने फेरा पानी, कर्नाटक में जीत के बाद हारी बीजेपी

locationकानपुरPublished: May 16, 2018 10:35:16 am

Submitted by:

Vinod Nigam

बसपा सुप्रीमो के चलते दलित वोटर्स जेडीएस के साथ गया, दलित बाहूल्य सीटों पर कमल नहीं खिला

बसपा सुप्रीमो के चलते दलित वोटर्स जेडीएस के साथ गया, दलित बाहूल्य सीटों पर कमल नहीं खिला
कानपुर। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद पंद्रह मई को सुबह से मतगणना का कार्य शुरू हो गया। दोपहर आते-आते बड़त देख भाजपाईयों ने ढोल लगाड़े के साथ जमकर जश्न मनाया। लेकिन शाम आते-आते जश्न फीका पड़ने लगा। भाजपा को स्पष्ट बहुमत से आठ सीटें कम मिली। जिसके चलते कानपुर से लेकर दिल्ली और बेंगलुरू में पिछले कई घंटे से सियासत तेज है। पर इस खेल के पीछे का किरदार युपी की बसपा सुप्रीमो मायावती ने निभाया। बसपा और जेडीएस के गठबंधन के बाद मायावती ने कई रैलियां कर्नाटक में की और दलितों का काफी संख्या में वोट अपने पाले में लाने में सफल रहीं। जिसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ा। अब सरकार बनाने के पीछे भी कर्नाटक के बसपा प्रभारी अशोक सिद्धार्थ अहम रोल अदा कर रहे हैं। अंदरखाने उन्होंने स्थानीय कांग्रेस नेताओं को साधा और कुमारस्वामी को कर्नाटक का सीएम मनाए जाने का पांसा फेंका। भाजपा को सत्ता दूर रखने के लिए कांग्रेस ने इस पर राजी हो गई।
शाम के वक्त उतर गए चेहरे
मंगलवार सुबह मतगणना शुरू होने के साथ ही बीजेपी बहुमत की ओर बढ़ने लगी थी। दोपहर करीब 11 बजे मतगणना के रुझानों में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिलने के आसार बन गए थे। स्पष्ट बहुमत आने की उम्मीद को देख भाजपाइयों ने मिठाई बांटना शुरू कर दिया। कानपुर के नवीन माकेट और अंसल भवन स्थित भाजपा कार्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं का दोपहर के समय जीत का जश्न मनाने का सिलसिला शुरू हो गया। इस जश्न में क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह, प्रमलता कटियार सहित सभी छोटे और पड़े पदाधिकारी भी शरीक होने पहुंच गए। बीजेपी के जिला सुरेंद्र मैथानी ने अन्य नेताओं ने मिठाई खिलाकर क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह को जीत की बधाई दी। इस मौके पर सुरेंद्र मैथानी ने भी बिना कोई देर लगाए इस जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह व कार्यकर्ताओं को देते हुए 2019 में भी जीत की भविष्यवाणी कर दी। लेकिन शाम को जैसे ही बीजेपी की सीटों का ग्राफ नीचे आया, बीजेपी नेताओं के चेहरे लटक गए। चुनाव परिणामों में बीजेपी बहुमत से 8 सीट दूर रह गई है।
पंजा आता तो भाजपा दस के पार नहीं पहुंचती
कर्नाटक बसपा प्रभारी अशोक सिद्धार्थ ने पत्रिका से खास बातचीत के दौरान बताया कि चुनाव से पहले हमने कर्नाटक् के स्थानीय नेताओं से गठबंधन के लिए कहा था, पर नहीं मानें। यिउ हमारी साथ कांग्रेस होती तो भाजपा यहां से दस सीटें भी नहीं जीत पाती। डॉक्टर सिद्धार्थ ने बताया कि कांशीराम की विचारधारा देश के कोने-कोने पर पहुंच रही है। बसपा ने कर्नाटक की 223 सीटों में 20 पर चुनाव लड़ा और एक सीट पर हमारा प्रत्याशी जीता। 2018 में यहां पर बसपा का वोट प्रतिशत पढ़ा। डॉक्टर सिद्धार्थ ने कहा कि राज्यपाल को कांग्रेस, जेडीए और बसपा के गठबंधन वाले दल को सरकार के लिए बुलाना चाहिए। क्योंकि भाजपा के पास आठ विधायक कम है और वह जेडीएस, कांग्रेस के विधायकों को तोड़ सकती है। इसे रोकने के लिए जल्द से जल्द राज्यपाल हमें सरकार बनाने का न्योता दें।
मायावती की रैलियों में दिखी भीड़
2012 विधानसभा चुनाव के बाद यूपी में बसपा पूरी तरह से धराशाही हो गई। लोकसभा 2014 के चुनाव में बसपा ने यूपी में खाता तक नहीं खोल पाई। मायावती ने हार के बाद कई बड़े बदलाव किए, लेकिन 2017 विधानसभा के चुनाव में पार्टी का करारी पराजय हुई। हार के बाद बसपा सुप्रीमो ने अपनी खोई जमीन को पाने के लिए कई नेताओं को पार्टी से बाहर किया तो पुराने बसपाइयों को दल में शामिल करवाया। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बसपा ने सपा प्रत्याशियों को अपना समर्थन दे दिया, जिसके चलते सीएम येगी आदित्यनाथ को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या को अनने-अपने गढ़ों में पराजय उठानी पड़ी। मायातवी को उपचुनाव में जीत की जड़ी बुटी मिल गई और कर्नटक में उन्होंने जेडीएस के साथ गठबंधन कर चुनाव के मैदान में उतर गई। कर्नाटक में मायावती की रैलियों में लोगों को हुजूम उमड़ा और गैर जाटव वोटर्स की बसपा में घर वापसी हो गई।
कुछ इस तरह बोले नेता
बसपा कोआर्डिनेटर नौशाद अली ने कहा कि कर्नाटक की जनता ने इस चुनाव में बीजेपी को बहुमत न देकर उन्हें भविष्य का आईना दिखा दिया है। आने वाले 2019 के चुनाव में भी बीजेपी को बहुमत मिलने वाला नहीं है। यूपी में सपा और बसपा का गठबंणन इनका बुरिया बिस्तर बांध देगा। मतदाता को झूठे वादे देकर बरगलाने का प्रयास बीजेपी ने किया, लेकिन वह सफल नहीं हो सके। वहीं भाजपा के यूपी महामंत्री सलिल विश्नोई ने कहा कि कर्नाटक की जनता ने इस चुनाव में कांग्रेस को नकारते हुए बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में जनादेश दिया है। हालांकि पार्टी बहुमत से कुछ सीट जरूर पीछे रह गई है। जनता के फैसले का पार्टी स्वागत करती है। सरकार बनाने के मामले में पार्टी के आला नेता फैसला लेंगे। हमें पूरी उम्मीद है कर्नाटक में यदुरप्पा के नेतृत्व में जल्द सरकार बनेंगी।

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