एमसीआई के सेके्रटरी जनरल डॉ. आरके वत्स की ओर से जारी आदेश के मुताबिक अब विदेश में एडमिशन के लिए नीट का परिणाम तीन साल तक वैलिड होगा। अगर कोई छात्र नीट २०१९ में शामिल होता है तो वह २०२२ तक विदेश में एडमिशन ले सकता है। उसे दोबारा नीट की परीक्षा नहीं देनी होगी।
विदेश में एमबीबीएस के लिए एडमिशन लेने से पहले छात्रों को एमसीआई से एनओसी लेनी होगी। एनओसी के दौरान मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया यह चेक करती है कि विदेश के जिस मेडिकल कॉलेज में आप प्रवेश लेने जा रहे हैं उनकी सूची में आप शामिल हैं या नहीं। इसके अलावा भारतीय मानकों को भी पूरा करना होता है।
विदेशों में एमबीबीएस के लिए प्रवेश शुरू हो चुके हैं। यूक्रेन, चीन में प्रवेश हो रहे हैं। रूस के ३००, यूक्रेन के २०, किर्जिस्तान के पांच और चीन के ४५ मेडिकल संस्थान विदेशी छात्रों के लिए प्रवेश का ऑफर देते हैं। यहां प्रवेश पाने के लिए १२वीं में कम से कम ६० प्रतिशत अंक होने चाहिए। इसके अलावा अलग-अलग देशों में प्रवेश परीक्षा के दौरान अंग्रेसी और बॉयोलॉजी के प्रश्र भी पूरे जाते हैं।
एमसीआई के आदेश के मुताबिक यदि नीट-२०१९ के नतीजे जारी होने से पहले पांच जून २०१९ तक विदेश के किसी भी मेडिकल संस्थान में एडमिशन लेते हैं तो उन्हें नीट-२०१८ का न तो रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है और न ही नीट-२०१८ क्वालीफाई करना होगा। इसके बाद प्रवेश लेने पर नीट में शामिल होना पड़ेगा।