यह खुलासा रिसर्च इंडियन मेडिकल रिसर्च काउंसिल व नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल के ज्वाइंट प्रोजेक्ट के तहत हुआ. इसके लिए जीएसवीएम समेत 17 शहरों के मेडिकल इंस्टीट्यूशन्स में सेंटर बनाए गए थे. 36 प्रकार की एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति वायरस व बैक्टीरिया की रजिस्टेंस सामने आई है. इसमें से दो बैक्टीरिया मुख्य हैं जिन पर हैवी एंटीबायोटिक दवाएं भी असर नहीं कर रही.
एंटीबायोटिक दवाओं को लेकर हुए रिसर्च की फाइंडिंग्स को लेकर मेडिकल कॉलेज विभाग के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट ने संबद्ध अस्पतालों के सभी क्लीनिकल डिपार्टमेंट्स को रिपोर्ट भेजी हैं. इसमें एंटीबायोटिक प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने की हिदायत दी गई है. क्योंकि दवा बेअसर होने पर मरीज को बचा पाना भी डॉक्टर्स के लिए बड़ी चुनौती है.
नेशनल प्रोग्राम ऑन कांटेनमेंट ऑफ एंटीमाइक्रोबायल रजिस्टेंस के तहत आईसीएमआर और नेशनल सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल की ओर से देश के 17 सेंटरों पर यह रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किया गया. इसमें मुंबई, दिल्ली, उदयपुर, कानपुर, मदुरै जैसे शहर शामिल किए गए. जून 2015 में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में एंटी माइक्रोबायल रेसिस्टेंट लैब बनाई गई. इसमें एंटीबायोटिक रजिस्टेंस बैक्टीरिया पर रिसर्च शुरू हुआ.
इस बारे में एलएलआर हॉस्पिटल के एसआईसी डॉ. आरके मौर्या कहते हैं कि एंटीबायोटिक दवाओं के प्रभावों को लेकर माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट से रिपोर्ट मिली है. सभी क्लीनिकल डिपार्टमेंट्स में एंटीबायोटिक प्रोटोकॉल के हिसाब से ही ट्रीटमेंट के लिए कहा गया है.