कानपुर

बवंडर ने कानपुर जोन में मचाई तबाही, CSA के वैज्ञानिकों ने बारिश की दी चेतावनी

देररात बारिश और धूलभरी आंधी ने जनजीवन किया अस्त-व्यस्थ, देहात में बिजली के चपेट में आने से एक की मौत

कानपुरMay 10, 2018 / 11:25 am

Vinod Nigam

कानपुर। सीएसए के मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की थी कि आई और नौ मई को बवंडर फिर से दस्तक दे सकता है और हुआ भी। एक सप्ताह के बाद कानपुर मंडल में आंधी-तुफान और बारिश ने जमकर कहर बरपाया। कानपुर नगर में इसकी चपेट में आने से पांच लोग घायल हो गए, वहीं कानपुर देहात में एक अधेड़ की मौत हो गई। आंधी के चलते शहर के कर्द दर्जन इलाकों में बिजली गुल हो गई जो पूरी रात नहीं आई। आमशहरी ने रतजगा कर रात गुजारी। बिजली विभाग के कर्मचारी खंभों और टूटे तारों को जोड़ने के लिए लगे हैं। वहीं कई इलाकों में पेड़ जमींदोज हो जाने से लोगों के आने-जाने के रास्ते बंद हो ग,। पेड़ों को हटाने का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। तूफान की मार सबसे ज्यादा किसानों को उठानी पड़ी। सैकड़ों बीघे में खड़ी गेहूं की फसल बर्बाद हो गई। सीएसए के मौसम वैज्ञानिक अनुरूद्ध दुबे ने बताया कि अभी चक्रवात का खतरा टला नहीं। गुरूवार से लेकर शनिवार तक भीषण आंधी और बारिश हो सकती है। ऐसे में किसान जल्द से जल्द फसलों को खेतों से काट कर घर ले जाएं।
बिजली गिरने से किसान की मौत
तेज आंधी व तूफान आने की चेतावनी पहले से ही मौसम विभाग पहले ही जारी कर चुका था। बुधवार की शाम करीब 7 बजे मौसम ने करवट बदली और धूल भरी तेज हवाएं चलने लगीं। आंधी से बडे पैमाने पर नुकसान हुआ। सबसे ज्यादा नुकसान किसानों का हुआ। खेतों में कटी पड़ी गेहूं की फसल व भूसा उड़ गया। आंधी से पूरे जिले की बिजली गुल हो गई, जो देर रात गायब रही। रसूलाबाद, डेरापुर, रूरा, झींझक संदलपुर, सिकंदरा , मुंगीसापुर, पुखरायां, राजपुर, भोगनीपुर क्षेत्र में आंधी के दौरान लोगों के घरों व दुकानों के बाहर रखे टीन शेड हवा में उड़ गए। मंगलपुर में तौसीफ (22) अपने बटाईदार नरेंद्र (25) के साथ रजबहे के पास स्थित खेत पर गेहूं की कटाई करा रहे थे। इसी दौरान तेज आंधी चलने लगी और बिजली गिरने से नरेंद्र की मौके पर मौत हो गई, जबकि तौसीफ गंभीर रूप से झुलस गया। उसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल भेजा गया है। वहीं कटाई का काम कर रहे सईद, शमशाद, बॉबी, राजेश भी आकाशीय बिजली की चपेट में आने से मामूली रूप से झुलस गए।
प्राकृतिक आपका आने के यह कारण
मॉनसून सीजन की शुरुआत मे राजस्थान दिल्ली और यूपी, तूफान, बारिश और बिजली गिरने से भारी तादाद में मौतों से आम लोग सहम गए, लेकिन वैज्ञानिक इससे हैरान नहीं हैं। सीएसए यूनिवर्सिटी के मौसम विज्ञानी अनिरुद्ध दूबे के अनुसार, इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार जंगलों और पेड़ों की कटाई है। पहले बिजली पोली (नरम) जमीन और पेड़ों पर गिरती थी। इससे बचने का एक ही तरीका है, सक्युलंट पौधे जैसे नीम, पीपल और बगरद अधिक से अधिक लगाए जाएं। दूबे के मुताबिक, आसमान में बिजली बनने का एक पूरा प्रॉसेस है। वातावरण में जोरदार आंधी आने, भूकंप या तारे टूटने से बेहद छोटे डस्ट पार्टिकल्स (धूल के कण) बनते हैं। ये एक बाल से कई गुना छोटेयानी सिर्फ 10 माइक्रोमीटर के होते है। धरती पर नमी या उमस होने पर यह उड़कर ऊपर जाते हैं। नीचे से गर्मी और ऊपर से बादलों की ठंडक के चलते पार्टिकल्स में घर्षण पैदा होता है। इससे ही बिजली चमकती है। फिलहाल जिन बादलों से बारिश हो रही है, इन्हें ’क्युमुलोनिंबस’ कहते हैं। नीचे से देखने पर यह काफी छोटे दिखते हैं, लेकिन ऊपर इनकी ऊंचाई 2.5 से 5 किमी तक होती है।
प्रकृतिक आपदा को ऐसे रोकें
दूबे कहते हैं कि पहले जंगल ज्यादा थे। बिजली अक्सर पोली जगहों पर जैसे दीमक की बांबी या दूध और गोंद वाले पेड़ों (सक्युलंट) महुआ, बरगद, पीपल, गूलर पर गिरती थी। इससे यह सीधे जमीन में चली जाती थी। पार्टिकल्स के घर्षण से आसमान में पॉजिटिव करंट बनता है। इसको नेगेटिव करंट (अर्थिंग) जमीन से मिलती है। पेड़ कम होने से ये एनर्जी बिल्डिंगों या इंसानों के जरिए जमीन तक पहुंच रही है। भारतीय हालात में देसी पौधे ही बेहतर हैं। लोगों को बिजली गिरने से जैसे हादसों से बचाव के लिए पीपल, गूलर, बरगद, पाकड़, नीम, महुआ, बबूल और जामुन जैसे पौधों को लगाना होगा। इनकी टहनियों को तोड़ने पर सफेद रंग का लिजलिजा पदार्थ निकलता है। सड़कों के किनारे कच्ची जगहों पर फलदार पौधे लगाएं। शीशम या टीक भी फायदेमंद हो सकते हैं। इनके अलावा ऊंची बिल्डिंगों पर लाइटनिंग कंडक्टर लगाना होगा।
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