सरकारी बाबुओं तक सीमित योजनाएं
पतारा निवासी किसान कामता प्रसाद कहते हैं कि हमनें पहली बार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जरिए पेश किए गए बजट को टीवी में देखा। वैसे अन्य सरकारों की तुलना में मोदी सरकार किसानों के लिए अच्छी योजनाएं बनाई हैं पर उनमें से अधिकतर दिल्ली से लखनऊ के बाद जिले के सरकारी बाबुओं तक सीमित रहीं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर दी जाएगी। पर ये संभव दिख नहीं रहा। क्योंकि आज भी काम तो वहीं नौकरशाह के हाथों में है और सरकारी पैसे को किसानों के खेतों में पहुंचाने के बजाए उसे बीच रास्ते में पार कर ले जाते हैं। जब तक इस पर ठोस कदम नहीं उठाएंगे जाएंगे तब तक किसान गरीब है, गरीब रहेगा।
भ्रष्टाचार पर वार के बिना संभव नहीं
पतारा निवासी शेषनारायण त्रिपाठी कहते हैं 15 साल की उम्र से खेती करनी शुरू की थी। 1990 के पहले किसान खुशहाल था। फसल की पैदावार भी अच्छी होती थी। लेकिन 90 के दशक के बाद प्रदेश में जिस तरह से भ्रष्टाचार तंत्र पनका उसने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी। खाद्यों में मिलवाट, बीज, किसानों के लिए अच्छे उपकरण व नहरों से पानी गायब कर दिया। इसी के चलते बुंदेलखंड से लेकर दोआब का किसान पूरी तरह से टूट गया। त्रिपाठी कहते हैं कि सरकार ने 6 हजार रूपए किसानों को देने, टाॅयलेट, आवास और फसल बीमा की बात कही, पर भ्रष्टाचार के कारण आज भी ये योजनाएं जमीन पर नहीं पहुंची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यदि किसानों के लिए सच में कुछ करना है तो पहले सरकारी बाबुओं पर नजर रखनी होगी और तभी परिणाम भी अच्छे आएंगे।
तो आय कैसे दोगुना होगी
किसान राधेश्याम का कहना है कि मोदी सरकार से आम बजट के दौरान बहुत सारी उम्मीद थी। बजट में सरकार किसान को लेकर सोलह सूत्रीय प्लान लेकर वो बहुत अच्छी बात है। लेकिन फसलों के दामों को लेकर कुछ नहीं हुआ। जबकि फसल के दाम से ही किसान की आमदनी निर्धारित होती है। न ही खाद व पेस्टीसाइड के दाम में कमी को लेकर कोई घोषणा की गई। क्योंकि आज किसान की आमदनी घटती और लागत बढ़ती जा रही है। कहते हैं, कानपुर जिले के अलावा आसपास के जनपदों में जहां प्रकृति की मार किसान उठा रहे थे तो वहीं योगी सरकार आने के अन्ना मवेशी खड़ी फसलों को जमीदोज कर रहे हैं। जब फसल हीं नहीं बचेगी तो आय कैसे दोगुना होगी।
लेकिन निराशा ही हाथ लगी
किसान युनियन के सदस्य रघुवरन सिंह पटेल कहते हैं कि केंद्र सरकार के आमबजट से किसान वर्ग को बहुत उम्मीद थी। लेकिन निराशा ही हाथ लगी। किसान को उम्मीद थी की सरकार किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये मिलने वाले ऋण को ब्याज मुक्त करेगी। फसल के समर्थन मूल्य को लेकर खरीद गारंटी कानून बनेगा। लागत को कम करने के लिए खाद व पेस्टीसाइड के दाम कम होंगे। परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ। खाली ऐसी सोलह सूत्रीय योजना से कुछ नहीं होगा। ऐसे तो किसान ज्यादा आर्थिक तंगी का शिकार होगा। किसान की आय को दोगुना करना है तो उसकी आमदनी को बढ़ाना होगा।
प्रदेश सरकार से नाराज
अधिकतर किसान मोदी सरकार के काम-काज से खुश दिखे पर प्रदेश सरकार से नाखुश। किसानों का कहना है कि योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान आज भी भ्रष्टाचार किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी में सबसे बड़ा बाधक है। कानपुर जिले से सटे जहानाबाद के चिल्ली गांव के किसान रामराज वर्मा कहते हैं कि उन्होंने 2011 में प्राईवेट ट्यूवेल की बोरिंग कराई। चार तक बिजली कनेक्शन के लिए दौड़ते रहे। एक लाख रूपए भी जमा कर दिए पर आज तक हमें ट्रांसफार्मर, बिजली के पोल व तार नहीं मिले। बताया, अमौली ब्लाॅक में करीब एक हजार से ज्यादा ट्यूबेल धारक किसानों का पैसा जमा होने के बाद विभाग ने समान नहंी दिया।