इस वजह से सीमित क्षेत्र पर बारिश
मौसम वैज्ञानिक अनुरूद्ध दुबे बताते हैं कि मानसूनी सीजन में अरब सागर से उठने वाली हवाओं के साथ जो बादल आगे बढ़ते थे, उनसे ऐसा लगता था कि वे बड़े क्षेत्रफल में बारिश करेंगे। ऐसे बादल स्थानीय क्षेत्र पर बने दबाव की वजह से उतने ही दायरे में बरस जाते थे, जिससे कई बार मौसम की भविष्यवाणी भी गलत साबित हुई है। इस बदलाव को के पीछे जलवायु परिवर्तन है। बताते हैं, यूपी के पश्चिमी क्षेत्रों में इस बार 27 प्रतिशत कम बारिश के पीछे भी यही बात सामने आ रही है।
बादलों का दायरा सिकुड़ा
सितंबर 2019 में कानपुर नगर में में सामान्य (617.9 मिलीमीटर) से एक मिमी अधिक 624.1 मिलीमीटर बारिश हुई तो कानपुर देहात में सामान्य से 59 प्रतिशत कम रही। डाॅक्टर दुबे मानसून के इस दोहरे व्यवहार के पीछे जलवायु परिवर्तन को मान रहे हैं। बताते हैं, इसी वजह से बादलों का दायरा सिकुड़ रहा है। अनुरूद्ध दुबे ने लोगों से अपील की है कि जंगलों को बनाए रखें और ज्यादा से ज्यादा पौधरोपड़ कर इस समस्या से खुद निपटें। यदि जलवायू परिवर्तन पर ठोस कार्य नहीं हुआ तो इसके और खतरनाक परिणाम सामनें आ सकते हैं।
जलवायू परिवर्तन की ये रही वजह
डाॅक्टर दुबे कहते हैं कि उद्योगों और कृषि के जरिए जो गैसे वातावरण में छोड़ रहे हैं (जिसे वैज्ञानिक भाषा में उत्सर्जन कहते हैं), उससे ग्रीन हाउस गैसों की परत मोटी होती जा रही है। ये परत अधिक ऊर्जा सोख रही है और धरती का तापमान बढ़ा रही है। इसे आमतौर पर ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन कहा जाता है। इनमें सबसे खतरनाक है कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा का बढ़ना। कार्बन डाइऑक्साइड तब बनती है जब हम ईंधन जलाते हैं.। मसलन- कोयला. जंगलों की कटाई ने इस समस्या को और बढ़ाया है. जो कार्बन डाइऑक्साइड पेड-पौधे सोखते थे, वो भी वातावरण में घुल रही है। मानवीय गतिविधियों से दूसरी ग्रीनहाउस गैसों मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन भी बढ़ा है, लेकिन कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में इनकी मात्रा बहुत कम है।
कुछ इस तरह बरसे मेघ
कानपुर नगर में सामान्य से मात्र एक प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई तो वहीं कन्नौज में सामान्य (695.1 मिलीमीटर) से 5 प्रतिशत ज्यादा बरसात हुई है। जबकि बुंदेलखंड के चित्रकूट में सामान्य (762.4 मिलीमीटर) से 10 प्रतिशत ज्यादा और बांदा में सामान्य (843.9 मिलीमीटर) से 13 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। जबकि जालौन में सामान्य (726.1 मिलीमीटर) से 18 प्रतिशत कम, महोबा में सामान्य (675.3 मिलीमीटर) से 23 प्रतिशत कम, झांसी में सामान्य (757.6 मिलीमीटर) से 19 प्रतिशत कम, कानपुर देहात में सामान्य (672.2 मिलीमीटर) से 59 प्रतिशत कम, इटावा में सामान्य (614.1 मिलीमीटर) से 24 प्रतिशत कम बारिश हुई।
इस वजह से बारिश की संभावना
5 अक्टूबर तक कानपुर में बारिश का सिलसिला जारी रहने से तापमान में गिरावट रही, लेकिन जैसे ही आसमान से बादल छटे, वैसे ही गर्मी ने दस्तक दे दी। जिसके कारण पंड पड़े कूलर व पंखे फिर से चलने लगे। सीएसए के मौसम विभाग के मुताबिक तापमान में बढ़ोतरी के कारण बारिश होने की संभावना है। इस बार मॉनसून की बारिश 11 वर्षों का रिकार्ड तोड़ चुकी है। इस बार शहर में 745.4 के सापेक्ष 850 मिमी बारिश हो चुकी है। मौसम वैज्ञानिक डाॅक्टर नौशाद खान के मुताबिक 27 सितंबर को 90 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है। इस सीजन में एक दिन में इतनी बारिश भी पहली बार हुई है। दीपावली के आसपास बारिश होने की संभावना है।