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दिल के टुकड़े को मां ने दिया कलेजा, 22 गज की पिच पर जौहर दिखाएगा बेटा

locationकानपुरPublished: Mar 13, 2018 12:55:49 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

एकलौते बेटे को बचाने के लिए मां ने किडनी की ट्रांसप्लांट, अपोलो अस्पताल में सफल ऑपरेशन

एकलौते बेटे को बचाने के लिए मां ने किडनी की ट्रांसप्लांट, अपोलो अस्पताल में सफल ऑपरेशन
कानपुर। मां आखिर मां है. उसकी जगह कोई नहीं ले सकता। वह अपने जिगर के टुकड़े की जान बचाने के लिए हर संभव जतन भी करती है। ऐसा ही कार्यनामा कानपुर के नौबस्ता थाना क्षेत्र के यशोदा नगर निवासी यूपी टीम के क्रिकेटर आदित्य पाठक की मां ने कर दिखाया। उन्होंने अपने बेटे को बचाने के लिए दिल्ली के अपोलो अस्पताल में अपनी किड़नी बेटे को डोनेट कर दी। ऑपरेशन होने के बाद मां और बेटे ठी हैं। डॉक्टरों की संयुक्त टीम ने बुधवार को देर रात तक चली सर्जरी के बाद सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण पूरा किया। दोनों मरीज पूरी तरह स्वस्थ हैं। पत्रिका से बातचीत के दौरान आदित्य ने बताया कि इलाज का पैसा खुद पिता और दोस्तों ने उठाया। यूपी के सीएम ने छह माह पूर्व डेढ़ लाख रूपए की मदद की थी, जो रिजेंसी में इलाज के दौरान लग गए। रिजेंसी के डॉक्टर देवराज गूजर कह सलाह पर हम आपोलो गए और मां ने किडनी देकर हमें दोबारा जीवन दिया। पीएम मोदी, सीएम योगी सहित किसी भी भाजपा के नेता ने आर्थिक मदद नहीं की, जबकि पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने खुद घर आकर ऑपरेशन के लिए पैसे दिए।
अपोलो अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लान्ट
एक फोटोग्रार के बेटे का सपना पूर्व टीम इंडिया के पूर्व कैप्टन रवि शास्त्री की तरह बैट और बॉल के बल पर देश के लिए खेलने का था, लेकिन यूपी अंडर.16 खेल चुका कानपुर का यह बल्लेबाज कई साल से जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। यूपी टीम में सिलेक्शन के बाद पिता को यकीन हो गया था कि वो एकदिन नीली जर्सी पहनकर 22 गज की पिच पर अपना जौहर बिखेगा। पर उसे एक ऐसी बीमारी ने घेर लिया कि अब उसके लिए परिवार सब कुछ बेचने को तैयार है। पिता ने दुकान बेचकर प्राईवेट नौकरी की तो मां ने अपने लाल को बचाने के लिए बच्चों को ट्यिशन बढ़ाने लगी। लेकिन बेटे को ऐसा मर्ज लगा कि दवा से इलाज संभव नहीं था। करीब एक साल से वह डायलसिस करवा रहा था, तभी उसकी हालत गंभीर हो गई। डॉक्टरों ने अपने हाथ खड़े कर दिए और कह दिया कि अब किडनी के बिना आगे आदित्य को बचाना नामुकिन है। यह बात जैसे ही मां कांति को पता चली तो उन्होंने अपने इकलौते बेटे को किडनी डोनेट करने के लिए दिल्ली के अपोलो अस्पताल चली गई। एक सप्ताह पहले डॉक्टर ने किडनी प्रत्योपरण कर आदित्य को नई जिंदगी दी।
यूपी टीम में हुआ सिलेक्शन, पिता गदगद
आदित्य के पिता विनोद पाठक फोटोग्राफी का काम करते हैं। परिवार में पत्नी कांति बेटी दुर्गा और एकलौते बेटे आदित्य पाठक ;28 के साथ रहते हैं। आदित्य को बचपन से ही क्रिकेट से खासा लगाव था, जैसे क्रिकेट ही उसकी जिन्दगी हो। आदित्य ने क्रिकेट की शुरुआत कमला क्लब से की। और बेहतरीन बल्लेबाजी व स्पिन गेंदबाजी की बदौलत आदित्य का सेलेक्शन 2008 और .2009 में अंडर 16 उमरीगर ट्राफी में यूपी की तरफ से हुआ। इस दौरान आदित्य ने गेंद और बल्ले से धूम मचाया। आदित्य को एक मैच के दौरान पेट में तकलीफ हुई तो उसने डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने उसकी दोनों किडनी खराब होने की जानकारी दी और यहीं से उसका सपना चकनाचूर हो गया। आदित्य ने बताया कि उसने महेंद्र सिंह धोनीए आरपी सिंहए पियूष चावलाए भूवनेश्वर कुमारए प्रमीण कुमार माहम्मद कैफ मोहम्मद सैफ के साथ क्रिकेट खेल चुका है। आदित्य को लेकर परिजन डॉक्टरों के पास गए तो उन्होंने बताया कि उनकी दोनों किडनी खराब हो गई हैं। यह बात जब परिजनों को पता चली तो उन पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा।
पिता की किडनी से गुजारे कई दिन
आदित्य की दोनों किडनियां खराब होने से डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट करने की परिजनों को दी। आदित्य के पिता विनोद पाठक ने 2009 में बेटे को किडनी ट्रांसप्लांट की थी। इसके बाद आदित्य स्वस्थ हो गया था। 3 साल बाद पता चला कि उस किडनी में भी संक्रमण फ़ैल रहा है। इसी के बाद से वह बिस्तर पर लग गया। आदित्य के पिता ने बताया कि हमने अपने खेत व घर सब कुछ बेच दियाए घर में रखे जेवर भी बेच दिया। अब हमारे पास कुछ नहीं बचा है। पहली किडनी ट्रांसप्लांट के दौरान चालीस लाख के करीब रूपया खर्च हो गया था। हमारे पास अब बेटा और पत्नी के सिवाह कुछ नहीं बचा। बेटे को बचाने के लिए घर, जमीन सब बेच दी। उन्होंने बताया कि ष्हम बेटे के इलाज के लिए प्रधानमंत्री सब से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन हमारी मदद नहीं की। मदद की बात छोड़ दो जवाब तक नहीं आया है।
सीएम कोष से मिली थी मदद
कानपुर के डीएम सुरेंद्र सिंह को जब आदित्य की बीमारी की बात पता चली तो उन्होंने सीएम कोश से एक लाख अस्सी हजार रूपए की आर्थिक मदद दिलाई थी।ै विनोद बताते हैं कि हमने कानपुर से योगी सरकार में मंत्री सतीश महाना से जाकर मिले थे। उन्होंने कहा था कि जल्द आपकी मदद सरकार के जरिए कराई जाएगी। वहीं मंत्री सत्यदेव पचौरी से मिलने के बाद उन्होंने डीएम से बात कर सीएम राहत कोश से मदद की बात कही। लेकिन आज तक कोई मदद हम तक नहीं पहुंची। विनोद ने बताया कि पूर्व विधायक अजय कपूर के भाई संजय कपूर से मदद की गुहार लगाई पर उन्होंने भी अपने हाथ खडे कर लिए। मीडिया में खबर छपने के बाद पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को जब हमारे बारे में बात पता चली तो वह खुद घर आए और बेटे को अपोलो भिजवाने के साथ जो मना वह उन्होंने किया। जबकि यूपी में भाजपा की सरकार, कानपुर से कई मंत्री, दो सांसद फिर उनकी तिजोरी से एक रूपया नहीं निकला।
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