इसलिए चाहता है दूसरी जेल
यूपी की सबसे सुरक्षित जेलों में एक फतेहगढ़ जेल हैं। यहां पर सजायाफ्ता कैदी रखे जाते हैं। जेल में अधिकतर ख्ुंखार से खुंखार बैदी बंद है और वो माफिया डॉन सुनील राठी की किसी भी कीमत पर गुलामी नहीं करेगा। साथ ही राठी को यहां वह सुविधा नहीं मिलेगी जो बागपत य अन्य जेलों में उपलब्ध रहती थीं। इतना ही नहीं यहां के कैदियों में खासी एकता है और अगर कोई अपराधी दूसरे अपराधी को मारने के आरोप में यहां लाया जाता है तो उसकी अच्छी-खासी धुनाई भी की जाती है। इसी के कारण सुनील राठी ने अपनी जान को खतरा बता दूसरी जेल में शिफ्ट करने की गुहार लगाई है। राठी पिछले एक सप्ताह से अधिकतर समय बैरक के अंदर ही बिताता है और सुबह के वक्त पानी पीने के बाद अखबार पढ़ता है। राठी सिर्फ एक बार चाय पीता है और बैरक के अंदर मौजूद कैदियों से अपनी पुराने किस्से कहानियां सुना कर दिन गुजार रहा है।
राठी ने नहीं उनके गुर्गो ने मारी गोली
फतेहगढ़ जेल में पुलिस की पूछताछ के दौरान राठी ने कई अहम खुलासे किए हैं। सूत्रों की मानें तो उसने मुन्ना बजरंगी की पूरी कहानी पुलिस को बता दी है। इतना ही नहीं जिस वक्त मुन्ना को गोली मारी गई उस वक्त राठी कुछ दूर पर खड़े होकर पूरा नजारा देख रहा था और मोबाइल के जरिए वीडियो बनाए और उन्हें खुद वायरल किया। राठी फतेहगढ़ जेल में भी अब अपने पैर पसारने के लिए छोटे अपराधियों के बीच पैंठ भी बना रहा है। उन्हें पैसे का लालच देकर और आयाराम-गयाराम की दुनिया के किस्से सुना कर अपनी तरफ लाने का प्रयास भी कर रहा है। इसी के चलते जेल प्रशासन उसकी बैरक में कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था की हुई है। बाहर एक भी कैदी से उसकी मुलाकात में रोक है, बावजूद जेल के सुरक्षाकर्मियों के जरिए अब उसने फतेहगढ़ जेल में सल्तनत खड़ी करने के लिए जुट गया है।
कभी गुस्सा नहीं करता राठी
शातिर सुनील राठी अपराध को कभी खुद अंजाम नहीं देता, बल्कि अपने गुर्गों से हत्या, फिरौती जैसे बड़े अपराध करवाता है। रियल इस्टेट और अवैध खनन में भी उसका सीधा नाम नहीं जुड़ता है. अलबत्ता खास गुर्गे उसके इशारे पर कारोबार चलाते हैं.। उसके शातिर अंदाज से कई पुलिस अधिकारी गच्चा खा चुके हैं.। सुनील राठी के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच के दौरान उससे हुई पूछताछ कर चुके अफसरों से कुछ इस तरह का फीडबैक मिली है। एक अधिकारी की मानें तो राठी हार्ड क्राइम में माहिर नहीं है, लेकिन बेहद शातिर है। गुर्गों को गैंग में शामिल करने में बेहद सतर्क रहता है। उसके शातिर दिमाग का ही परिणाम है कि उसने 15 दिसंबर 2014 को बागपत पेशी पर ले जाए जा रहे अपने साथी कुख्यात अमित भूरा को देहरादून पुलिस के चंगुल से छुड़ा लिया था। जेल में तैनात कर्मियों को अपने जाल में फांसने की उसे महारत है। वह जेल से ही रंगदारी का बड़ा नेटवर्क चलाता है। अफसरों की मानें तो राठी कभी क्रोधित नहीं होता। पूछताछ में घिर जाता है तो अफसरों के पैर पकड़ने से भी नहीं हिचकता।
इसी बैरक में बंद रहा है मुन्ना बजरंगी
शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी का हत्यारोपी सुनील राठी को भी फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में बंद है। लेकिन कभी इसी बैरक में राठी की गोलियों का शिकार मुन्ना बजरंगी भी निरुद्ध रहा है। जेल सूत्रों की मानें तो राठी को अब मुन्ना बजरंगी वाली हाई सिक्योरिटी सेल में ही रखा गया है। इसी जेल में पूर्वांचल के माफिया सुभाष ठाकुर के अलावा पश्चिम के भी कई खूंख्वार अपराधी निरुद्ध हैं।जुर्म की काली दुनिया के बेताज बादशाह सुभाष ठाकुर और सुनील राठी के एक ही जेल में आने से जेल अधिकारियों के साथ ही जिला प्रशासन भी सतर्क है। सुनील राठी के लिए हाई सिक्योरिटी सेल की व्यवस्था की गई है। कभी इसी जेल में रहकर पूर्वान्चल की सत्ता को चलाने वाला मुन्ना बजरंगी तो अब नहीं रहा, पर उसका कातिल जरूर उसी बैरक के अंदर रात गुजार रहा है।