एक्शन में आए डॉक्टर जोशी लोकसभा चुनाव का शंखदान हो चुका है। सभी राजनीतिक दल जीत-हार पक्की करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं, तो वहीं वर्तमान सांसद भी टिकट कटने को लेकर खासे परेशान है और पाला बदलने के लिए जुगाड़ लगा रहे हैं। सबसे ज्यादा मारामारी सत्ताधारी बीजेपी में दिख रही है। अमित शाह के यूपी के दौरे के बाद दिल्ली से कई सांसदों के टिकट कटने की बात सामने आने पर वो लखनऊ से लेकर दिल्ली में अपने करीबियों के दरवार में जाकर हाजिरी लगा रहे हैं। तो वहीं कानपुर के सांसद मुरली मनोहर जोशी भी एक्शन में आ गए हैं। टिकट नहीं मिलने की सुगबुगाहट के बीच उन्होंने भी पीएम मोदी और अमित शाह पर तंस कस दबाव बनाना शुरू कर दिया है। भाजपा नेताओं की मानें को मुरली मनोहर जोशी कानपुर से चुनाव नहीं लड़ना चाहते। इसकी जानकारी उन्होंने स्थानीय पदाधिकारियों को दे दी थी। वो इलाहाबाद से चुनाव के मैदान में उतरने का मन बनाया है।
दवाब बनाने के लिए कलम के जरिए वार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दो दिवसीय के दौरे पर यूपी आए और संगठन के अलावा संघ व कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। वर्तमान सांसदों के कामकाज की जानकारी ली। छह प्रान्तों के विस्तारकों ने 30 से 40 सांसदों के खिलाफ रिपोर्ट दी। इसी के बाद अमित शाह ने पीएम मोदी व संघ के बड़े नेताओं के साथ चर्चा की इन्हें 2019 में टिकट नहीं देने का मन बना लिया। टिकट कटने की भनक लगते ही कई सांसद दूसरे दलों की तरफ दोस्ती के लिए हाथ बड़ाने भी शुरू कर दिए हैं । तो वहीं वरिष्ठ भाजपा नेता व कानपुर के सांसद मुरली मनोहर जोशी ने पीएम मोदी और अमित शाह पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। भाजपा के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य मुरली मनोहर जोशी ने एक अखबार में लेख के जरिए मोदी सरकार के कामकाज पर प्रश्न चिन्ह लगाए हैं। उन्होंने अपने लेख में रामायण, महाभारत और कौटिल्य के अर्थशास्त्र से शासन चलाने की सीख दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है यह सीख अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के नीति नियंताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के लिए है।
यह रहा राजनीतिक सफर भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता व कानपुर के सांसद मुरली मनोहर जोशी का जन्म 5 जनवरी 1934 को नैनीताल में हुआ था। उन्होंने अपनी स्नातक डिग्री मेरठ कॉलेज तथा स्नातकोत्तर डिग्री इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से प्राप्त की। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की। अपनी युवावस्था में डॉैटर जोशी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए और गौरक्षा संबंधी आंदोलनों में भागीदारी की। 1980 में डॉैटर जोशी ने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में अपना सहयोग दिया और इसके अध्यक्ष बनें। डॉक्टर जोशी तीन बार इलाहाबाद के विधायक रहे। और इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 15वीं लोकसभा में उन्होंने वाराणसी से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। 1996 में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार 13 दिनों के लिए बनी थी, उस दौरान डॉक्टर जोशी ने गृह मंत्री का पदभार संभाला था। 15वीं लोकसभा के कार्यकाल में 1 मई 2010 को उन्हें लोक लेखांकन समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
अटल जी के करीबियों में होती है गिनती बीजेपी के कद्दावर नेता डॉक्टर जोशी की गिनती पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी नेताओं में होती है। लेकिन 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से पार्टी में उनका रुतबा पहले जैसा नहीं रहा है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की विचारधार उनकी विचारधारा से मेल नहीं खाती है। कुछ माह पहले अपने संसदीय क्षेत्र कानपुर आए डॉक्टर जोशी से जब पत्रकारों ने उनसे मोदी सरकार के चार साल के कार्यकाल और उपलब्धियों के बारे में पूछा तो उन्होंने मुस्कराते हुए पहले चुप हो गए, लेकिन एकाएक कहा कि कॉपी में कुछ लिखा,तब तो नंबर दूंगा। कह कर तंज कसा था। मौके पर मौजूद भाजपा नेता डॉक्टर जोशी के बयान से खासे नाराज दिखे। भाजपा पार्षद व नगर निगम के उपनेता नवीन पंडित कहते हैं कि डॉक्टर जोशी को अपनी उम्र के हिसाब से चलना चाहिए और पीएम मोदी पर ऐसे बयान देने से बचना चाहिए।
श्रीप्रकाश को हराकर चुने गए थे सांसद 2014 के लोकसभा चुनाव में डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी ने तीन बार के सांसद केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को 2 लाख 23 हजार मतों के भारी अंतर से हरा 15 साल बाद कानपुर में कमल खिलाया था। डॉक्टर जोशी के सांसद चुने जाने से शहर के लोगों को उनसे बहुत उम्मीदें थी। लोगों का मानना था कि भाजपा में नंबर तीन की हैसियत रखने वाले जोशी बंद मिलों को फिर से शुरू कराएंगे। एम्स, सड़क, पानी, बिजली और उद्योगों को लोकर युवाओं को रोजगार देंगे। लेकिन पीएम मोदी के शपथ लेने के बाद डॉक्टर जोशी को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। खबरें आई कि उन्हें उपराष्ट्रपति बनाया जाएगा, लेकिन ऐन वक्त में पीएम मोदी व अमित शाह ने उन्हें मात देकर वकैया नायडू को इस कुर्सी पर बिठा दिया। जानकरों का मानना है कि 2019 में किसी भी कीमत पर डॉक्टर जोशी को भाजपा टिकट नहीं देगी।