कानपुर से बीस किमी की दूरी पर स्थित कठेरूआ गांव हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहा है। दशहरे के बाद जहां रावतपुर और परमपुर में संप्रदायिक हिंसा हो रही थी, वहीं यहां पर सलीम बच्चा भगवान राम की आरती कर अमन-चैन की दुआ मांग रहे थे। वहीं राहुल तिवारी रामलीला मंच पर ही ताजिया रख कर हुसैन को याद कर मुस्लिम भाईयों को गले लगाकर त्योहार की बधाई दे रहे थे। राहुल तिवारी बताते हैं कि हम लोग 115 साल से रामलीला का मंचन के साथ ही दहशरे पर मोहर्रम का पर्व मना रहे हैं। रामलीला के दौरान मुस्लिम समुदाय द्वारा भागवान राम की पूजा आरती की जाती है। रामलीला के मंच पर राम विवाह का आयोजन था। मंचन शुरू होने से पहले सलीम चच्चा ने राम दरबार की आरती की और इसके बाद रामलीला का शुभारम्भ हुआ।
मंच पर भगवान राम की आरती कर रहे है मोहम्मद इश्तियाक उर्फ़ सलीम चच्चा ने बताया कि आज के दिन का हम लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं जिसमें जहां एक तरफ हमारे हुसैन के ताजिए रामलीला के मंच पर दिखते है तो भगवान राम के दर्शन कर देश में आपसी भाईचारा बना रहे इसके लिए दुआ मांगते हैं। बुजुर्गों ने कहा यह परंपरा और संस्कार हम अपने बच्चों को भी दे रहे हैं ताकि गांव में सदा खुशहाली बनी रहे। राहुल तिवारी बताते हैं कि इस रामलीला का आयोजन उनके पूर्वज कराया करते थे, तभी से यह क्रम चलता आ रहा है। काठारा गांव में हिन्दू मुस्लिम की संयुक्त आबादी है। इस प्रोग्राम में हिन्दुओं के साथ ही मुस्लिम समाज का भी अहम् योगदान रहता है।
सलीम चच्चा ने बताया कि हम लोग उन फिरकापरस्त ताकतों को बता देना चाहते हैं कि हम एक हैं। जो लोग माहौल ख़राब करते हैं उन्हें फांसी पर लटका देना चाहिए। हम अपने रामलीला के माध्यम से समाज को सन्देश देना चाहते हैं कि हुसैन के साथ-साथ भागवान राम भी हमारे हैं। हम लोगों में कुछ बंटा नहीं हैं, हम हिंदुस्तान गुलिस्ता के फूल हैं, हम बिखरेंगे नहीं। गांव के बड़की यादव ने बताया कि अंग्रेजों ने हमारे बीच विवाद कर पाकिस्तान नामक देश बना दिया, अब कुछ राजनीतिक दल फिर से दो भाईयों को आपस में लड़ाकर अपना मकसद हल करना चाहते हैं। हमारे लोगों से अपील है कि एक रहे और ऐसे ही भारत में गंगा-जमुनी को बहने दें।