पता चला कि जलकल की ओर से पानी की शुद्ध आपूर्ति के लिए उसमें क्लोरिनेशन और ब्लीचिंग की जाती है. इसके लिए हर महीने 20 लाख से ज्यादा का खर्च आता है. पानी में क्लोरीन न मिलाने से उसमें व्याप्त अशुद्धियां मिली रहती हैं. जलकल में भी इसकी जांच की जाती है, लेकिन बजट को जेबों में भरने के लिए रिपोर्ट में सबकुछ सही कर दिया जाता है. इसकी क्रॉस चेकिंग के लिए नगर निगम में केमिस्ट तैनात रहता है, जो हर महीने जलकल द्वारा आपूर्ति किए जा रहे पानी की जांच करता था. ऐसे में जलकल का ‘खेलÓ पकड़ा जाता था और नगर आयुक्त कार्रवाई करते थे.
मोतीझील कैंपस में ही नगर निगम की जल प्रयोगशाला है. प्रयोगशाला में प्यून को छोड़कर वहां एक भी केमिस्ट नहीं था. बताया गया कि पिछले 3 महीनों से पानी की जांच बंद है. पहले यहां केमिस्ट के तौर पर संजीव यादव मौजूद थे, लेकिन उनका ट्रांसफर होने के बाद तब से यह पद खाली पड़ा है.
नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पंकज श्रीवास्तव बताते हैं कि 3 साल पहले केमिस्ट रिटायर हो गए थे. तब से अभी तक कार्यकारिणी की परमीशन से एक केमिस्ट को रखा गया था. उनके जाने के बाद अभी तक कोई कर्मचारी नहीं आया है. जल्द केमिस्ट को अप्वाइंट करने का प्रयास किया जा रहा है. इस वजह से बिना जांच का पानी सप्लाई किया जा रहा है.