एक हेक्टेयर में इस प्रजाति की 1400 क्विंटल पैदावार
सीएसए के मुताबिक महज एक हेक्टेयर जमीन में 1400 क्विंटल तक टमाटर का उत्पादन लिया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने टमाटर की एक ऐसी किस्म विकसित की है जिसकी प्रति हेक्टेयर पैदावार 1,400 क्विंटल तक हो सकती है। टमाटर की इस प्रजाति को नामधारी-4266 का नाम दिया गया है, जो अब किसानों के लिए उपलब्ध है। सामान्य प्रजाति के टमाटरों का उत्पादन जहां 400 से 600 क्विंटल प्रति हेक्टयर है। वहीं इस नई वेरायटी से अब किसानों को 1200 से 1400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर टमाटर की पैदावार मिलेगी। बागवानी क्षेत्र में इस रिसर्च को किसानों के लिए एक नई क्रांति के रूप में देखा जा रहा है।
सीएसए के मुताबिक महज एक हेक्टेयर जमीन में 1400 क्विंटल तक टमाटर का उत्पादन लिया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने टमाटर की एक ऐसी किस्म विकसित की है जिसकी प्रति हेक्टेयर पैदावार 1,400 क्विंटल तक हो सकती है। टमाटर की इस प्रजाति को नामधारी-4266 का नाम दिया गया है, जो अब किसानों के लिए उपलब्ध है। सामान्य प्रजाति के टमाटरों का उत्पादन जहां 400 से 600 क्विंटल प्रति हेक्टयर है। वहीं इस नई वेरायटी से अब किसानों को 1200 से 1400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर टमाटर की पैदावार मिलेगी। बागवानी क्षेत्र में इस रिसर्च को किसानों के लिए एक नई क्रांति के रूप में देखा जा रहा है।
खेती का अलग तरीका और लागत वही
चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के संयुक्त निदेशक प्रोफेसर डी. पी. सिंह ने बताया कि सामान्यत: टमाटर की खेती में निराई, बुवाई, सिंचाई, गुड़ाई और खाद आदि के खर्च में करीब 50 हजार रुपये प्रति हेक्टर का खर्च आता है। उन्होंने कहा, लगभग इसी औसत में हम पालीहाउस में नामधारी-4266 प्रजाति के टमाटर की खेती कर सकते हैं। प्रो. सिंह ने बताया कि सितंबर व अक्टूबर माह में इसकी नर्सरी लगाई जाती है और दिसंबर से फरवरी के बीच फसल तैयार हो जाती है।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के संयुक्त निदेशक प्रोफेसर डी. पी. सिंह ने बताया कि सामान्यत: टमाटर की खेती में निराई, बुवाई, सिंचाई, गुड़ाई और खाद आदि के खर्च में करीब 50 हजार रुपये प्रति हेक्टर का खर्च आता है। उन्होंने कहा, लगभग इसी औसत में हम पालीहाउस में नामधारी-4266 प्रजाति के टमाटर की खेती कर सकते हैं। प्रो. सिंह ने बताया कि सितंबर व अक्टूबर माह में इसकी नर्सरी लगाई जाती है और दिसंबर से फरवरी के बीच फसल तैयार हो जाती है।
नहीं लगते कीड़े, ४५ दिन में फसल तैयार
इस टमाटर की खासियत यह है कि इसमें रोग व कीट नहीं लगते और टमाटर 45 दिनों में तैयार हो जाता है। इसके लिए मिट्टी में नारियल के बुरादे, परलाइट व वमीर्कुलाइट के मिश्रण को डाला जाता है, जिससे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व पौधे को मिलता है। इसकी सिंचाई के लिए भी ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती। टपक विधि से आसानी से सिंचाई की जाती है। प्रो. सिंह ने बताया कि हम पलीहाउस में ऐसा टमाटर पैदा कर रहे हैं, जिसका उत्पादन सामान्य से दो दोगुना है। एक हेक्टेयर में अभी 1400 क्विंटल से ज्यादा का उत्पादन हुआ है। हमारे विश्वविद्यालय से किसान इसे प्राप्त कर सकते हैं। यह लतावगीर्य टमाटर किसानों की आमदनी बढ़ाने में काफी सहायक होगा।
इस टमाटर की खासियत यह है कि इसमें रोग व कीट नहीं लगते और टमाटर 45 दिनों में तैयार हो जाता है। इसके लिए मिट्टी में नारियल के बुरादे, परलाइट व वमीर्कुलाइट के मिश्रण को डाला जाता है, जिससे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व पौधे को मिलता है। इसकी सिंचाई के लिए भी ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती। टपक विधि से आसानी से सिंचाई की जाती है। प्रो. सिंह ने बताया कि हम पलीहाउस में ऐसा टमाटर पैदा कर रहे हैं, जिसका उत्पादन सामान्य से दो दोगुना है। एक हेक्टेयर में अभी 1400 क्विंटल से ज्यादा का उत्पादन हुआ है। हमारे विश्वविद्यालय से किसान इसे प्राप्त कर सकते हैं। यह लतावगीर्य टमाटर किसानों की आमदनी बढ़ाने में काफी सहायक होगा।
किसानों से करायी जाएगी खेती
इस खास प्रजाति के टमाटर का सफल परीक्षण होने के बाद आस-पास के जिलों से किसानों को पॉलीहाउस में टमाटर की फसल को देखने को बुलाया गया है। बाहर के किसान भी इसकी नर्सरी ले जा सकते हैं। यह प्रजाति बेल टाइप की है। पालीहाऊस में यह खेती इसलिए करते हैं, क्योंकि इसमें तापमान इसी लता के हिसाब से होता है। एक गुच्छे में चार से पांच और पौधे में 50 से 60 टमाटरों का उत्पादन होता है। प्रति टमाटर वजन भी 100 से 150 ग्राम है, जबकि सामान्य टमाटर का वजन 50 से 80 ग्राम ही होता है। यह किसानों के लिए बहुत लाभकारी है।
इस खास प्रजाति के टमाटर का सफल परीक्षण होने के बाद आस-पास के जिलों से किसानों को पॉलीहाउस में टमाटर की फसल को देखने को बुलाया गया है। बाहर के किसान भी इसकी नर्सरी ले जा सकते हैं। यह प्रजाति बेल टाइप की है। पालीहाऊस में यह खेती इसलिए करते हैं, क्योंकि इसमें तापमान इसी लता के हिसाब से होता है। एक गुच्छे में चार से पांच और पौधे में 50 से 60 टमाटरों का उत्पादन होता है। प्रति टमाटर वजन भी 100 से 150 ग्राम है, जबकि सामान्य टमाटर का वजन 50 से 80 ग्राम ही होता है। यह किसानों के लिए बहुत लाभकारी है।