राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि एनएसआई के विशेषज्ञों का दल चुकंदर से चीनी बनाने की तकनीक सीखेगा। चुकंदर ठंडे प्रदेशों की फसल है जिसे देश के सभी जिलों में करना मुश्किल है। फिर भी प्रयास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस समझौते के बाद देश-विदेश से आने वाले छात्रों को लाभ मिलेगा।
प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि चुकंदर की पैदावार पांच माह में तैयार हो जाती है। इसलिए इसे नवंबर माह में लगाया जा सकता है। ऐसे में किसान साल में दो फसल कर सकेंगे। जबकि गन्ना दस माह की फसल है। चुकंदर से चीनी उत्पादन गन्ने की अपेक्षा 20 फीसदी अधिक होता है, इसलिए किसानों को ज्यादा लाभ मिलेगा।
इसके अलावा नाइजीरिया के शुगर डेवलपमेंट काउंसिल के साथ एमओयू हुआ है। इसके तहत वहां दूसरा शर्करा संस्थान विकसित करना है। वहां इंफ्रास्ट्रक्चर, तकनीक के साथ शिक्षकों को भी प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी एनएसआई की होगी। इससे देश के छात्रों को अच्छा मौका मिलेगा।
श्रीलंका के शुगरकेन रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ एनएसआई ने एमओयू किया है। श्रीलंका में कई शुगर इंडस्ट्री चल रही हैं इसके बावजूद उनका उत्पादन अच्छा नहीं है। इससे न तो इंडस्ट्री को लाभ हो रहा और न ही चीनी की खपत हो रही है। इसे बढ़ाने की जिम्मेदारी एनएसआई को दी गई है। एमओयू के तहत एनएसआई तकनीक के जरिए श्रीलंका में शुगर इंडस्ट्री को विकसित करेगा।