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बैंकों के चलते कोठारी ने खड़ा कर लिया सम्राज्य, करोड़ों के कर्जदार पर एनसीएलटी ने बैठाई जांच

locationकानपुरPublished: Feb 17, 2018 08:06:00 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

फायदा पहुॅचाने वाले बैंक प्रबन्धन के बड़े अधिकारी कुर्सी बचाने के लिये कोठरी को सेटलमेण्ट की मेज पर लाने के रास्ते तलाशने लगे हैं।

nclt demands investigation

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विनोद निगम
कानपुर. सरकारी सिस्टम और सफेदपोशों की मिलभगत के चलते गुजरात के नीरव मोदी ने जनता के टैक्स के पैसे अपनी तिजोरी भरकर देश-विदेश में हवेलियां, महल और कारोबार फैला दिया। पर जब बैंकों की नजर उनके एकाउंट पर पड़ी तो वह हरकत में आए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मोदी करीब 11 हजार करोड़ की रकम डकार कर देश से फरार हो गया। पुलिस और जांच एजेंसियां उसकी धड़पकड़ के लिए हाथ पैरे मार रही हैं तो वहीं कानपुर के किंग ऑफ पेन के नाम से मशहूर विक्रम कोठारी पांच बैंकों का लगभग 5 हजार करोड़ रूपया लेकर फरार हो गया। इसी के बाद एनसीएलटी ( नेशनल कम्पनी लॉ टियूब्नल ) एक्शन में आ गया है। एनसीएलटी ने बीस फरवरी को कानपुर में कोठारी को एलओयू जारी करने वाले बैंकों के साथ बैठक बुलाई है। कोठारी को फायदा पहुॅचाने वाले बैंक प्रबन्धन के बड़े अधिकारी अपनी कुर्सी बचाने के लिये कोठरी को सेटलमेण्ट की मेज पर लाने के रास्ते तलाशने लगे हैं।
20 फरवरी को देना होगा जवाब
किंग ऑफ पेन के नाम से मशहूर रहे विक्रम कोठारी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। साथ ही उन बैंक अफसरों पर भी गाज गिरनी तय हैं, जिसने विक्रम कोठारी को बिना किसी दस्तावेज के इतनी बड़ी रकम लोन के तौर पर दी। एनसीएलटी के अलावा पांच बैंकों ने कोठारी को नोटिस देकर ली गई रकम को ब्याज सहित चुकता करने के अलावा 20 फरवरी को पेश होने को कहा है। अगर कोठरी 20 फरवरी तक जवाब नहीं देते तो उनकी सम्पत्ति को जब्त करने के कार्रवाई की जाएगी। यूपी बैंक इम्पलाईज एसोसिएशन के सचिव सुधीर सोनकर ने बताया कि कोठरी की डूबती कम्पनी रोटोमैक ग्लोबल की रिस्टक्चरिंग के नाम पर अनाप शनाप कर्ज दिया गया और लेटर ऑफ अण्डरटेकिंग भी जारी किये गये। मामले को संज्ञान में लेने वाले बैंक स्टाफ यूनियनों की एक नहीं सुनी गयी और कर्ज की रकम 150 करोड़ से शुरू हुई थी वो लगभग पॉच हजार करोड़ तक पहुॅच गयी। अगर बैंक के अधिकारी हमारी बातों पर ध्यान दिया होता तो जनता के टैक्स का पैसा लेकर कारोबारी भाग नहीं सकता था।
1395 करोड़ रूपया बैंक ऑफ इण्डिया का बकाया
कोठारी पर जिन बैंकों पर बड़ी देनदारी है, उनमें से एक है बैंक ऑफ इण्डिया। कानपुर स्थित बैंक ऑफ इण्डिया के जोनल आफिस मे जब पत्रिका की टीम पहॅुची तो जोनल मैनेजर मीनकेतन दास ने कोई भी अधिकारिक बयान करने से इनकार कर दिया। उन्होने ऑफ कैमरा स्वीकार किया कि बैंक ऑफ इण्डिया की 1395 करोड़ की रकम कोठरी की कम्पनियॉ में डूबी पड़ी है और इसे वसूलने के लिये बैंक ने एनसीएलटी को केस रेफर कर दिया है। एनसीएलटी के जरिए कोठारी से सारा पैसा वापस लिया जाएगा। कोठरी की सम्पत्तियों के ब्योरे जुटाए जा रहे हैं और 20 फरवरी के बाद उन्हें जब्त कर लिया जाएगा। वहीं मामले की जांच एनसीएलटी के करने से बैंक अफसर परेशान हैं। जानकारों की मानें तो कोठारी को नियम-कानून को ताक पर रखकर रिण देने वाले ऐसे अफसरों पर गाज गिरनी तह हैं।
बैंक युनयिनों ने हड़ताल की घोषणा
एनसीएलटी के अलावा अब बैंक यूनीयनें भी अब मुखर हो रही हैं। यूनीयनों की फेडरेशन ने 15 मार्च को राष्टव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है जिसमें एनपीए एक मुद्दा होगा। यूपी बैंक इम्पलाईज एसोसिएशन के सचिव सुधीर सोनकर ने बताया कि चाहे यूपीए की सरकार रही हो अथवा मौजूदा एनडीए सरकार सभी ने एनपीए घोटालों पर पर्दा डाल रही हैं और बड़े नेताओं के साथ ही बैंक के कुछ अफसरों को मिलाकर कोठारी जैसे सैकड़ों लोगों को रिण दिया गया है। बताया, विक्रम कोठारी घोटाले में लेटर ऑफ अण्डरस्टैडिंग के जरिये बैंकों को जमकर नुकसान पहुॅचाया गया और ओवर वैल्यूशन के जरिये कोठारी को फायदा पहुॅचाया गया। वे ये भी आरोप लगाने से नहीं चूकते कि सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों को सत्ता के दबाव में बड़े कारपोरेट घरानों को ऐसे एलओयू जारी करने पड़ते हैं और बाद में आरबीआई की गाईड लाईन का दिखावटी अनुपालन करने के लिये इसे बैंक की बैलेन्स शीट में प्राफिट से समायोजित किया जाता है।
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