पिछले 25 महीने से बैंकिंग सेक्टर में वेतन बढ़ाने को लेकर कई दौर की वार्ता आईबीए के साथ हो चुकी है। गुरुवार को निर्णायक दौर की बैठक थी जो बेनतीजा खत्म हो गई। द्विपक्षीय बैठक में बैंक फोरम ने कहा कि मौजूदा दस प्रतिशत की वेतन वृद्धि को बढ़ाया जाए। फोरम ने सबसे पहले भेजे गए प्रस्ताव में 40 फीसदी वेतन वृद्धि की मांग की थी लेकिन बैंकिंग सेक्टर के हाल को देखते हुए अपना रुख लचीला कर लिया और सम्मानजनक वृद्धि देने पर सहमति बनाई। इसके उलट आईबीए ने दस फीसदी से ज्यादा वेतन वृद्धि की मांग को दो शर्तों के साथ जोड़ दिया।
संघ ने कहा कि वेरियेबल पे पर चर्चा करते हुए परफार्मेंस लिंक पे की शर्त रख दी और इसे लेकर एक छोटी कमेटी का गठन भी कर दिया। इस शर्त के तहत दस फीसदी वेतन सभी का बढ़ेगा। इससे ज्यादा वेतन उन्हीं का बढ़ेगा जिनकी परफार्मेंस अच्छी होगी। वेतन वृद्धि के लिए बैंक का फायदे में होना जरूरी है। इस शर्त से नाराज यूनाइटेड फोरम ने कहा, बैंकिंग पांच दिन की हो। नगदी का समय कम किया जाए। पेंशन अपडेट करें। फैमिली पेंशन में बदलाव करें। मेडिकल इंश्योरेंस में सुधार किया जाए लेकिन आईबीए ने सभी मांगों को ठुकरा दिया।
दबाव में हैं बैंककर्मी
पीएनबी प्रोग्रेसिव इम्पलाइज एसोसिएशन के मंत्री अनिल सोनकर का कहना है कि बैंकिंग सेक्टर पिछले तीन साल से तमाम झंझावतों का सामना कर रहा है जिसका दबाव सबसे ज्यादा बैंकिंग स्टाफ पर पड़ा है। दोगुने काम और आधे स्टाफ के बावजूद सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचा रहे बैंक कर्मचारियों को ये प्रस्ताव अस्वीकार है। दूसरी ओर यूपी बैंक इम्लपाइज यूनियन अध्यक्ष रजनीश गुप्ता ने कहा है कि दस प्रतिशत कतई मंजूर नहीं है। कर्मचारियों के ऊपर काम का दबाव देखते हुए ये वृद्धि कतई अनुचित है। सबसे बड़ी बात ये है कि बैंकिंग में परफार्मेंस का मानक क्या होगा। कैसे तय होगा कि कौन कर्मचारी काम कर रहा है और काम नहीं। हमें ये प्रस्ताव स्वीकार नहीं है।