विशेषज्ञों का मानना है कि शहर में और भी साइलेंट कैरियर हो सकते हैं जिनकी स्क्रीनिंग न होने से पता नहीं चल सका। इससे शहर के लोगों में समूह प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्युनिटी) विकसित होने के संकेत मिल रहे हैं। अगर समूह प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने लगी तो कोरोना का खात्मा हो जाएगा। लोगों को संक्रमण तो होगा लेकिन पता ही नहीं चलेगा और वे खुद ठीक हो जाएंगे। डॉक्टरों का कहना है कि अगर जमातियों की जांच न होती तो पता ही नहीं चलता कि वे कोरोना के रोगी हैं। उनमें कोई लक्षण ही नहीं हैं। इसी तरह और भी लोग हो सकते हैं।
जिला महामारी विशेषज्ञ डॉ. देव सिंह का कहना है कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अगर मजबूत हो तो पता भी नहीं चलता और रोगी ठीक हो सकता है। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि कुछ लोग संक्रमित होने के बाद ठीक भी हो गए होंगे। जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उन्हीं के लिए यह घातक हो सकता है। शहर में मिले कोरोना के 11 रोगियों का अध्ययन फिलहाल नजीर के तौर पर किया जा रहा है।
सरसौल सीएचसी के प्रभारी डॉ. एसएल वर्मा का कहना है कि अभी रोगियों में कोई लक्षण नहीं हैं। 14 दिन पूरे होने के बाद सैंपल जांच के लिए फिर भेजे जाएंगे। उनका कहना है कि रोगियों की इम्युनिटी मजबूत है। वहीं, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. रिचा गिरि का कहना है कि जनरल स्क्रीनिंग होने पर ही साइलेंट कैरियर का पता चलेगा।
विशेषज्ञों के मुताबिक जब बहुत सारे लोगों को किसी मर्ज का संक्रमण हो जाता है तो उसे समूह प्रतिरोधक क्षमता या हर्ड इम्युनिटी कहते हैं। इसे नेचुरल वैक्सीनेशन भी कहा जाता है। इससे हर्ड इम्युनिटी हो जाती है। शरीर में एंटी बॉडीज होने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। इससे रोग सामान्य जुकाम-बुखार की तरह होता है, वह घातक नहीं हो पाता।