लावारिस लॉकरों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बैंक इसकी मांग लंबे समय से कर रहे थे। अकेले कानपुर में ही 5700 से ज्यादा लॉकर विभिन्न बैंक शाखाओ में बरसों से बंद हैं। इसे देखते हुए बैंक लॉकर को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों को कुछ अधिकार दिए हैं। अब लंबे समय तक लॉकर न खोलने पर बैंक को उसे खोलने का अधिकार होगा।
नए नियम के मुताबिक ग्राहकों के लिए एक साल में कम से कम एक बार बैंक लॉकर खोलना जरूरी कर दिया गया है। अगर ऐसा नहीं किया तो बैंक उसे खोल सकते हैं और देख सकते हैं कि उसमें क्या रखा है। अगर आप नहीं चाहते कि आपकी मर्जी बिना आपका लॉकर खोला जाए तो साल में एक बार अपना लॉकर जरूर चेक कीजिए।
बैंकों ने लॉकरों को तीन श्रेणियों में बांट दिया है। ये श्रेणियां खतरे के आधार पर तैयार की गई हैं। पहली है कम खतरे वाली श्रेणी- इसमें एक साल तक लॉकर न खोलने वाले ग्राहकों को रखा जाएगा। इन ग्राहकों को बैंक एक अवसर देगा कि लॉकर खोल लें लेकिन बैंकों के विवेक पर निर्भर करेगा। दूसरी श्रेणी मध्यम खतरे वाली श्रेणी है- इसमें आरबीआई नियमों के मुताबिक बैंक नोटिस भेजेगा। जिसमें वह आपसे कहा जाएगा कि या तो लॉकर को खोलें या उसे सरेंडर करें। तीसरी श्रेणी अत्यधिक खतरे वाली श्रेणी है- इसमें तीन साल से अधिक समय तक लॉकर न खोलने वाले ग्राहकों रखा जाएगा व पड़ताल व कानूनी प्रक्रिया के बाद ही लॉकर खोलने की अनुमति दी जाएगी।
लॉकर में रखी गई चीजों की बैंक कोई जिम्मेदारी नहीं लेता, क्योंकि उसे इस बात की जानकारी नहीं होती कि लॉकर में क्या रखा है। इसलिए लॉकर का इंश्योरेंस जरूरी है। कंपनियां बैंक के लॉकर में रखी कीमती वस्तुओं के दुर्घटनावश खोने, चोरी होने, बैंक कर्मचारियों द्वारा बेईमानी करने और आतंकी घटनाओं में नष्ट होने का कवर देती हैं। बैंक के लॉकर में रखे गए जरूरी दस्तावेजों का भी इंश्योरेंस कराया जा सकता है।