कुलपति सम्मेलन के दौरान राज्यपाल रामनाईक ने इस मामले का संज्ञान लिया था। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा था कि फर्जी तरीके से डिग्री और अंकपत्र में हो रही हेराफेरी पर विवि का लापरवाह रवैया ठीक नहीं है। उन्होंने कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता को भी सख्त हिदायत देते हुए इस प्रक्रिया के लिए ठोस नियम बनाने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद विश्वविद्यालय ने यह फैसला लिया।
अभी तक केवल हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की मार्कशीट की छायाप्रति से ही किसी भी दस्तावेज में परिवर्तन कर दिया जाता था। इसका फायदा उठाते हुए कई लोगों ने दूसरे की डिग्री नाम बदलवाकर बेची और मोटी कमाई की। विवि के रिकार्ड रूम से सारी सूचनाएं लीक होती थीं, जिसका फायदा ये ठग उठाते थे। एक छात्र की शिकायत के बाद सारा सच खुलकर सामने आया था।
राज्यपाल की सख्ती के बाद मार्कशीट में बदलाव के नियम बदल दिए गए है, साथ ही अब पूरा रिकार्ड भी ऑनलाइन करने की तैयारी है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और लोगों को हेराफेरी का मौका ही न मिल सके। इसके लिए कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने परीक्षा नियंत्रक, रजिस्ट्रार व अन्य अधिकारियों के साथ बैठक करके टेंपरिंग पर पूरी तक अंकुश लगाने पर चर्चा की।
नाम बदले जाने वाले मामले में पीडि़त छात्र और आरोपी से पूछताछ की जा चुकी है, हालांकि विवि ने आरोपी के नाम का खुलासा नहीं किया है, दूसरी ओर इस खेल में विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत साफ उजागर हो रही है, पर विवि प्रशासन ने अभी तक दोषियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की है।