scriptCyber Crime News: शातिर साइबर ठगों का नया पैंतरा, पूरी तैयारी के बाद बैंकों को भेजते ईमेल, फिर कंपनियों को लगाते लंबी चपत | New trick of vicious cyber thugs, sending emails to banks and then | Patrika News

Cyber Crime News: शातिर साइबर ठगों का नया पैंतरा, पूरी तैयारी के बाद बैंकों को भेजते ईमेल, फिर कंपनियों को लगाते लंबी चपत

locationकानपुरPublished: Sep 21, 2021 07:40:38 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

-कंपनी का निदेशक बन बैंक को ईमेल भेज ठगे 65.80 लाख-पुलिस ने खातों का ब्यौरा और खातेदार की मांगी है केवाईसी

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
कानपुर. साइबर ठग (Cyber Thug) लोगों को ठगने के नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं। मगर साइबर अपराधी (Cyber Criminal) अब बैंको के जरिए भी ठगी का शिकार बनाने पर अमादा हैं। ठगों ने आटो मोबाइल कंपनी (Auto Mobile Company) विशाल आटोमूवर्स के डायरेक्टर के नाम से बैंक को ईमेल भेजकर खाते से 65.80 लाख रुपये हड़पे। इन साइबर अपराधियों के नाइजीरियन गैंग से संबंध होने की आशंका जताई गई है। बैंक को मेल भेजने वाले शातिरों की करतूत देखकर यह पुष्टि हुई कि ये शातिर लंबी तैयारी के बाद बैंकों को ईमेल भेजते हैं। जिन आठ खातों में कंपनी के खाते से रकम भेजी गई, उनका ब्योरा व स्टेटमेंट मांगा गया है। साथ ही छह खातों को फ्रीज करा दिया गया है।
यूनियन बैंक आफ इंडिया के शाखा प्रबंधक विनय दीक्षित ने स्वरूप नगर थाने में पिछले दिनों धोखाधड़ी व आइटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने बताया था कि 9 व 10 सितंबर को एक शख्स ने अंजान नंबर से फोन किया और खुद को विशाल आटोमूवर्स कंपनी का निदेशक दौलत सिंह भदौरिया बताया। और फिर लोन खाते से आठ विभिन्न खातों में 65.80 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए थे। यहां तक कि आरोपित ने फर्जी लेटरहेड पर खातों का ब्योरा भी ईमेल पर भेजा था। जिस नंबर से फोन आया था, ट्रू कालर पर उसमें निदेशक का नाम लिखा आ रहा था।
स्वरूप नगर थाना प्रभारी अश्विनी कुमार पांडेय ने बताया कि खातों का ब्योरा और खातेदारों की केवाइसी मांगी गई है। उसके आधार पर टीम को जांच के लिए भेजा जाएगा। पुलिस की जांच में सामने आया कि साइबर अपराधी योजनाबद्ध पूरी तैयारी करके बैंकों को कंपनी के नाम से ईमेल व लेटरहेड भेजते हैं। पहले कंपनी के मालिक या निदेशक के नाम से एक फोन नंबर ट्रू कालर पर दर्ज कराते हैं, जिससे बैंक के मैनेजर को फोन करने पर शक न हो। और तो और कंपनी के नाम से हूबहू लेटरहेड तैयार कराते हैं। पुलिस को ईमेल भेजने वाले का यूआरएल व आईपी एड्रेस अभी नहीं मिला है।
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