एफआईआर में घर के सहित वहां खड़ी फॉर्च्यूनर, ट्रैक्टर व स्कॉर्पियो गाडियां भी जेसीबी से ध्वस्त कर दी गईं। जो कि मीडिया के कैमरे में तस्वीरें कैद हुई, जिन्हे लोगों ने देखा। जबकि विकास दुबे के लिए काम करने के आरोप में सलाखों के पीछे कैद चौबेपुर के पूर्व थानाध्यक्ष विनय तिवारी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में लिखा गया कि उनको मुखबिर से जानकारी मिली थी कि विकास दुबे के घर में बनकर है, दीवारों में भी असलहे छिपे रखे हैं। पुलिस ने जब छापेमारी की तो अंदर खुदाई के निशान मिले। पुलिस ने कई स्थानों पर खुदाई कराई तो जर्जर दीवारें होने के चलते पक्की छत खुद ही गिर गई।
वहीं दूसरी खुदाई में तीन तमंचे, विस्फोटक सामग्री सहित नीम के पेड़ के नीचे पंद्रह जिंदा बम बरामद हुए। विकास के नए व पुराने घर को गिराए जाने की कार्यवाही लोगों ने लाइव देखी है। जो अदालत में पुलिस के लिए शूल बन सकती है। वहीं एफआईआर में गाडियां तोड़ने का कोई जिक्र नहीं किया गया है। अदालत में इसकी जबावदेही भी पुलिस को देनी होगी। इस घटना के बाद बिकरू गांव पुलिस की छावनी में तब्दील था। अगर पुलिस ने ये गाडियां नहीं तोड़ी तो इतनी सुरक्षा में ये गाडियां कैसे टूट गई। इसका जवाब पुलिस को घेरता नजर आ रहा है।