डफरिन एसआईसी वीबी सिंह के अनुसार गवर्नमेंट की ओर से शुरू किए जाने वाले इस वैक्सीन की मदद से नवजात बच्चों को डायरिया जैसी गंभीर बीमारी से बचाया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि एक सर्वे के अनुसार 50 प्रतिशत डायरिया के मामलों में रोटा वायरस ही मुख्य कारण पाया जा चुका है. ऐसे में यह वैक्सीन सीधे वायरस को खत्म करने का काम करेगा.
उन्होंने बताया कि जन्म के बाद बच्चों में यह वायरस फैलता है. इस वायरस के फैलने के बाद बच्चों को दस्त, पलटी, बुखार और पेटदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं. रोटा वायरस वैक्सीन के इस्तेमाल से इन सभी बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है. नवजात को होने वाली किसी भी समस्या की जानकारी सबसे पहले खुद ही करनी पड़ती है. ऐसे में जरूरी है कि हम पहले से ही सजग रहें.
डॉक्टर के अनुसार जन्म के बाद बच्चे को 3 डोज रोटाटेक वैक्सीन 02 महीने की उम्र से लेकर 06 महीने की उम्र तक दिया जाना आवश्यक है. जबकि, रोटारेक्स के 02 डोज 02 महीने से 04 महीने तक की ऐज में बच्चे को पिलाए जाने चाहिए. उन्होंने बताया कि यह वैक्सीन ड्रॉप की मदद से बच्चों को पिलाई जाएगी.
डॉक्टर के अनुसार एक स्टडी के मुताबिक यदि नवजात को डायरिया हुआ तो उनकी मौत का खतरा 08 गुना तक बढ़ जाता है. इससे बचने के लिए जरूरी है कि बच्चों को समय से यह वैक्सीन पिला दिए जाएं. जन्म के बाद अधिकतम 08 महीने की उम्र के पहले बच्चों को सभी वैक्सीन पिला दिए जाने चाहिए. स्वास्थ्य विभाग की मुहिम के तहत बच्चों को नि:शुल्क वैक्सीन की शुरुआत जल्द ही सभी गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में की जाएगी.
इस बारे में डफरिन के एसआईसी डॉ. वीबी सिंह कहते हैं कि रोटा वायरस वैक्सीन की हेल्प से नवजात को डायरिया, बुखार, पेट दर्द और उलटी जैसी बीमारियों से बचाया जा सकता है. गवर्नमेंट की ओर से इस वैक्सीन का जल्द ही शुभारंभ किया जाना तय है. इससे हर नवजात का जीवन सुरक्षित हो सकेगा.