इथेनॉल बनाने के प्रयोग के दौरान परफ्यूम का आइडिया आया राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि वैज्ञानिकों की टीम इथेनॉल बनाने के लिए निरंतर नई-नई खोज कर रही है। इसी क्रम में टीम को काजूफल से काजू निकलने के बाद बचे फल में शर्करा मिली। इससे टीम ने शोध के बाद काजूफल से इथेनॉल बनाने में सफलता प्राप्त कर ली। यह इथेनॉल काफी उच्च गुणवत्तायुक्त मिला। टीम ने इस इथेनॉल पर भी शोध शुरू किया। टीम ने कई माह के प्रयास के बाद काजूफल से परफ्यूम बनाने में सफलता प्राप्त कर ली। यह परफ्यूम सामान्य अभी तक एल्कोहल से बन रहे परफ्यूम की तुलना में काफी अच्छा, सुगंधित और शरीर के लिए लाभप्रद है। प्रो. मोहन ने बताया कि अभी तक परफ्यूम मोलासिस या शीरे से बनने वाले इथेनॉल से बनाया जा रहा है। इससे परफ्यूम में हल्की एल्कहोल की गंध रहती है और वह सेंसटिव स्किन को नुकसान पहुंचाता है। काजूफल से बना परफ्यूम इन दोनों कमियों से पूरी तरह मुक्त होगा। इसमें 99.98 फीसदी की शुद्धता है।
ऐसा प्रयोग दुनिया में अभी तक कहीं नहीं हुआ एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने कहा कि काजूफल से परफ्यूम बनाने की तकनीकी बिल्कुल नई है। अभी तक पूरी दुनिया में इससे कोई भी परफ्यूम नहीं बना रहा है। इस परफ्यूम की भविष्य में सबसे अधिक मांग होगी। स्वास्थ्य को देखते हुए अमेरिका ने परफ्यूम के लिए भी एक नई अथॉरिटी एस्मा का गठन किया है। इसके बनाए स्टैंडर्ड को पूरा करने वाले परफ्यूम ही विश्व के बाजार में उपलब्ध हो सकेंगे। इसमें पहला नियम स्किन को लाभ देने वाला बनाया गया है। प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि काजूफल से एल्कोहल भी बनाई जाएगी। यह एल्कोहल प्रीमियम होगा और इसकी कीमत अधिक होगी। इस एल्कोहल में किसी तरह की गंध नहीं होगी। मतलब अभी तक मिलने वाले एल्कोहल में हल्की गंध आती है लेकिन यह गंधमुक्त होगा। इसका प्रयोग फार्मास्युटिकल क्षेत्र में भी होगा। इसके जरिए दवाओं में अक्सर आने वाली एल्कोहलिक गंध से छुटकारा मिल सकेगा।