गैंगरेप के आरोपी विधायक पर नया इल्जाम, 15 साल के बाद स्नातक तो 2017 में दिखाया इंटर पास
कानपुर। उन्नाव जिले के बागरमऊ से भाजपा विधायक जहां गैंगरेप आरोप से घिरे हुए हैं, वहीं वह जल्द एक और मुसीबत में फंस सकते हैं। भाजपा विधायक ने पहली बार विधायकी का नामांकन किया था तो उसमे अपने आप को स्नातक पास कानपुर के डीएबी कॉलेज से दिखाया था। लेकिन भाजपा में शामिल होते ही 2017 के विधानसभा में वह इंटर पास हो गए। इसकी जानकारी जैसे ही कांग्रेस, सपा और बसपा के नेताओं को हुई तो उन्होंने चुनाव आयोग से शिकायत करने की बात कही है। कांग्रेस नगर अध्यक्ष हरिप्रकाश अग्निहोत्री ने बताया कि जानकारी मिली है कि कुलदीप सिंह सेंगर ने फर्जी तरीके से स्नातक की मार्कशीट बनवाई है। हम जिला चुनाव आयोग के कार्यालय से दस्तावेज जल्द लेंगे और अगर यह बात सही पाई जाती है तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए जाने की तहरीर पुलिस को देंगे।
15 साल बदल गई शिक्षाबांगरमऊ विधानसभा क्षेत्र के माखी गांव निवासी भाजपा कुलदीच सिंह सेंगर जहां गैंगरेप और मर्डर के आरोप से घिरे हैं, वहीं अब उन्हें एक और मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। भाजपा विधायक ने पंद्रह साल पहले बसपा से चुनाव लड़ा था, तब उन्होंने अपने आप को स्नातक पास दिखाया था, लेकिन 2017 विधानसभा चुनाव में नामांकन के वक्त कुलदीप सिंह सेंगर इंटर पास हो गए। यह मामला जैही विपक्ष के नेताओं के पास पहुंचा तो सियासत तेज हो गई। कांग्रेस नगर अध्यक्ष हरिप्रकाश अग्निहोत्री जल्द ही उन्नाव जाकर चुनाव आयोग कार्यालय से इनके दस्तावेज मांगेगे। दस्तावेज में यदि उन्होंने ऐसा कृत्य किया है तो उन पर कानूनी कार्रवाई करेंगे। नगर अध्यक्ष ने बताया कि योगी सरकार बाहुबली विधायक को बचा रही है। कई भाजपा नेताओं का उन्हें संरक्षण मिला हुआ है। कांग्रेस उनकी गिरफ्तारी की मांग करती है और अगर सरकार ने ऐसा नहीं किया तो कांग्रेस कार्यकर्ता सीएम आवास का घेराव करेंगे।
23 साल पहले राजनीति में आए थे सेंगरमूलरूप से फतेहपुर के रहने वाले कुलदीप सेंगर अपने ननिहाल माखी परिवार के साथ आए थे। कुलदीप सिंह के पिता को यहां जमीन और जायदाद उनके ससुर ने दी थी। उन्नाव आने के बाद वह पीड़िता के ताऊ गुड्डू सिंह के साथ मित्रता बनाई और उनके साथ छोटे-मोटे
काम कर पेसा कमाने लगे। कुलदीप सेंगर ने 1995 में युवक कांग्रेस के महामंत्री पद से सक्रिय राजनीति में कदम रखा। 1996-97 में माखी ग्राम सभा से निर्विरोध प्रधान चुने गए। वर्ष 2002 कुदपील पहली बार बसपा के टिकट से विधानसभा पहुंचे। नमांकान के वक्त कुलदीप ने अपनी शैक्षिक योग्यता स्नातक बताई थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में कुलदीप की पढ़ाई घट गई और उन्होंने अपने आप को इंटर पास बताया। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्नाव के राजा शंकर सहाय इंटर कॉलेज से इंटर पास बताई।
जिसकी सरकार उसे के दल के साथ सेंगर 2002 में भगवंत नगर से बीएसपी के टिकट पर विधायक बने। 2007 के अगले चुनाव में कुलदीप ने फिर निष्ठा बदली और तब सपा के पाले में जा खड़े हुए। बांगरमऊ से चुनाव लड़कर फिर विधायक बने। 2012 के चुनाव में दल नहीं बदला तो विधानसभा क्षेत्र बदलकर भगवंत नगर पहुंच गए और वहां से भी जीत गए। दल बदलने का सिलसिला यहीं नहीं रुका। 2017 में वह सपा छोड़कर फिर बांगरमऊ से ही भाजपा के सिंबल पर चुनाव मैदान में उतरे और विधायक चुने गए। हर बार चुनाव क्षेत्र बदलने वाले कुलदीप सिंह सेंगर बांगरमऊ से लडऩे की हिम्मत मोदी लहर के भरोसे जुटा सके और सफल भी हुए। स्थानीय लोगों की मानें तो कुलदीप सेंगर का सपा, बसपा और कांग्रेस के बड़े-बडे नेताओं से अच्छे संबंध हैं और इसी का वह फाएदा उठाते रहे। चार बार से लगातार विधायक बन रहे कुलदीप सेंगर कभी चुनाव नहीं हारे हैं। यूपी की सियासत में कुलदीप चल रही हवा का रुख भांप लेते हैं। ऐसे में वो चार बार विधायक बने। तीन बार उनका क्षेत्र अलग-अलग रहा है।
उन्नाव में कुलदीप की चलती है सल्तनकुलदीप की पत्नी संगीता सेंगर को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया गया, भाई मनोज सेंगर ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं। खुद लोकसभा के लिए अपनी पिच तैयार कर रहे हैं। कुलदीप के तीसरे भाई अतुल सिंह राजनीतिक साम्राज्य का कामकाज संभालते हैं। उन्नाव का कोई भी ठेका बिना कुलदीप सेंगर की मर्जी के किसी को नहीं मिल सकता है। साइकिल के ठेके से लेकर अवैध होटल चलाने और ऑटो स्टैंड से लेकर गाड़ियों से अवैध वसूली तक के कारोबार में विधायक का परिवार शामिल है। ठेके कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सेंगर उर्फ जगदीप चलाते हैं, जबकि होटल का कारोबार उनके भाई मनोज सेंगर के पास है। चौदह साल पहले उन्नाव में किसी बात को लेकर विधायक पक्ष से एक पत्रकार कहा-सुनी हो गई थी। इसे रोकने के लिए जब पुलिस पहुंची तो विधायक के भाई अतुल सेंगर ने पुलिस पर फायरिंग कर दी थी, जिसमें डिप्टी एसपी को पेट में गोली लग गई थी।