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नोटबंदी के दर्द से कराह रहा उद्योग, 365 दिन के बाद भी सरकार खोज नहीं पाई इलाज

locationकानपुरPublished: Nov 09, 2017 09:18:37 am

नोटबंदी के बाद कई लोगों को अपनी जान तो कुछ के हाथ से रोजगार छिन गया था…

Notebandi effect on industry in Kanpur UP Hindi News

नोटबंदी के दर्द से कराह रहा उद्योग, 365 दिन के बाद भी सरकार खोज नहीं पाई इलाज

कानपुर. एक साल पहले 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देर रात नोटबंदी का एलान कर देश भर में खलबली मचा दी थी। जिसके चलते कई लोगों को अपनी जान तो कुछ के हाथ से रोजगार छिन गया था। सरकार के इस फैसले के चलते शहर के छोटे उद्योगों पर जबरदस्त असर पड़ा, जिसके दर्द के चलते व्यापारी आज भी कराह करे हैं। इंडियन इंडस्ट्रीस एसोसिएशन का कहना है कि बीजेपी सरकार का नोटबंदी करने फैसला तो सही था, पर इसके लिए उद्योग जगत तैयार नहीं था। लाख प्रयास के बाद भी भाजपा सरकार ने इसके इलाज कोई इलाज खोज नहीं पाई।

सबके चेहरे पर आज भी नोटबंदी का दर्द

आईआईए के कानपुर कार्यालय में आज भी नोटबंदी की बात सुनकर छोटे और मंझले उद्योगपति आज भी सिहर उठते हैं। आईआईए के प्रदेश अध्यक्ष तरुण खेत्रपाल कहते हैं कि नोटबंदी के बाद से बाज़ार से ग्राहक बिलकुल गायब हैं, जिसका सीधा असर मैन्युफैक्चरिंग पर पड़ रहा है। ग्राहक के पास आज भी रुपया नहीं है जो बैंक में जमा है उसे वो नहीं निकलता है। ब्रेड , बिस्किट और साबुन इंडस्ट्री ज्यादा असर पड़ा है। इन तीनो उद्योगों पर दोहरी मार पड़ी। पहले नोटबंदी की दूसरि सिक्कों की। नोटबंदी के दौरान आरबीआई ने करोडों के सिक्के बाज़ार में उतार दिए थे। ग्राहक अब रूपए न देकर सिक्के देता है। अब तो ये हालात है कि व्यापारियों के पास सिक्को के ढेर लगे है और बैंक सिक्के जमा नहीं कर रहा।

घटकर 38 हजार करोड़ पर पहुंचा कराबोर

आईआईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने बताया कि छोटा और मंझला उद्योग नोटबंदी के एक साल बाद भी इससे उबर नहीं पा रहा है। कानपुर चैप्टर में करीब 6500 छोटे और मंझले उद्योग हैं जिनकी हालत नोटबंदी के बाद से खराब हैं। कानपुर चैप्टर का सालाना टर्नओवर 47 हज़ार करोड़ तक पहुंच गया था जो अब घट गया है। नोटबंदी से पहले हर साल 10 फीसदी की के रफ्तार से करोबार बढ़ रहा था। इसके हिसाब से इस बार 54 हज़ार करोड़ का आंकड़ा छूना था। लेकिन नोटबंदी जैसा ऐतिहासिक फैसला आने के बाद 47 हज़ार करोड़ से घटकर टर्नओवर 38 हज़ार करोड़ पर आ गया। केन्द्र सरकार का नोटबंदी का फैसला ऐतिहासिक कदम है इसके दूरगामी परिणाम अच्छे होंगे लेकिन फैसला लेने के पहले जो तैयारी होती है वो पूरी तैयारी के साथ फैसला नहीं लिया गया जिससे इंडस्ट्री को काफी नुकसान झेलना पड़ा।

व्यापारियों ने सबक सिखाने का लिया प्रण

नोटबंदी के चलते कानपुर के छोटे और बड़े कारखानों में ताले पड़ गए थे, इसी के चलते व्यापारी वर्ग की हालत बहुत खराब हो गई। व्यापारी अर्जुन सिंह कहते हैं कि पहले नोटबंदी फिर जीएसटी ने व्यापारियों को सड़क पर ला दिया। व्यापारी वर्ग भाजपा सरकार को निकाय चुनाव में सबक सिखाएगी। अर्जुन सिंह कहते हैं कि बिना सोचे समझे पीएम मोदी ने जनता पर सीधा हमला कर दिया। हजारों की संख्या में कारखाने बंद हो जाने के चलते युवा बेरोजगार हो गए। जेके जूट तो पहले ही बंद थी, लेकिन नोटबंदी के बाद काटन में ताला पड़ गया। इसमें काम करने वाले सैकड़ों लोग रिक्शा चलाकर दो वक्त की रोटी की व्यवस्था कर रहे हैं।
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