क्या है पूरा मामला
बाबूपुरवा थाने के बेगमपुरवा, अजीतगंज कॉलोनी में बेकाबू भीड़ ने पुलिस पिकेट पर हमला कर उनकी पांच बाइकें फूंक दी थीं। पथराव में दो दारोगा और एक सिपाही घायल हो गए थे। इस बवाल में घायल 12 लोग एलएलआर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिनमें से तीन की मौत हो गई थी। पुलिस ने एक दर्जन से अधिक उपद्रवियों को गिरफ्तार कर अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। पूरे मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई थी। वहीं पुलिस भी अपने स्तर से जांच पड़ताल कर रही थी। सीसीटीवी फुटेज और वीडियो के जरिए करीब 37 उपद्रवियों की पहचान की। जिनमें 22 आरोपित फरार चल रहे हैं।
10 लाख का हुआ था नुकसान
पुलिस ने बाबूपुरवा और यतीमखाना समेत पूरे कानपुर में उपद्रवियों के पोस्टर चस्पा किए थे। बाबूपुरवा और यतीमखाना में हुई हिंसा में 10 लाख 22 हजार रुपए की सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का आकलन किया गया था। जिसमें 8 उपद्रवी बाबूपुरवा के और 8 उपद्रवी यतीमखाना के चिन्हित किए गए थे। एडीएम सिटी ने सभी को नोटिस जारी कर क्षतिपूर्ति की रकम जारी करने का आदेश दिया था। इसी दौरान एक वादी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर हिंसा में नुकसान की वसूली पर रोक लगाए जाने की याचिका दायर कर दी, जिसके बाद प्रशासन ने अपने पैर पीछे खींच लिए।
तीन की गई थी जान
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुई हिंसा में बाबूपुरवा थानाक्षेत्र निवासी रईस खान, आफताब आलम और मोहम्मद सैफ की मौत हो गई थी। जबकि 15 वर्षीय मोहम्मद आवेश, 16 वर्षीय मोहम्मद शादाब और 17 वर्षीय मोहम्मद फैज, 20 वर्षीय कासिम, 22 वर्षीय मोहम्मद फैजान, 20 वर्षीय शान मोहम्मद, 25 वर्षीय मोहम्मद कामिल, 32 वर्षीय अली मोहम्मद, 35 वर्षीय मोहम्मद अकील और 50 वर्षीय मोहम्मद जमील गंभीर रूप से घायल हुए थे।
सीएम ने दिया था अल्टीमेटम
उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने 22 जनवरी को कानपुर में नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के समर्थन में आयोजित रैली के दौरान कहा था कि कोई सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान करेगा तो वसूली होगी। जो रकम वापस नहीं करेगा तो उसके खिलाफ कुर्की की कार्रवाई की जाएगी। मामले पर आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि कानपुर हिंसा के पीछे पीएफआई और एआईएमएआईएम के कार्यकर्ताओं का हाथ सामनें आया है। मामले की जांच एसआईटी कर रही है। साथ ही पुलिस भी फारा आरोपियों को दबोचने के लिए लगी हुई है।