ऐसा था आयोजन
यहां आपको सबसे पहले बता दें कि अशोक नगर स्थित एक होटल में इस कन्वेंशन का आयोजन किया गया. इस कन्वेंशन के दौरान एसजीपीजीआई लखनऊ से आए डॉ. अमित केसरी ने लोगों को ढेरों जानकारियां दी. इस बाबत उन्होंने ये भी बताया कि कान का ट्यूमर ब्रेन से बिल्कुल सटा हुआ होता है, इसको निकालने में सर्जन को सफलता मिली है.
यहां आपको सबसे पहले बता दें कि अशोक नगर स्थित एक होटल में इस कन्वेंशन का आयोजन किया गया. इस कन्वेंशन के दौरान एसजीपीजीआई लखनऊ से आए डॉ. अमित केसरी ने लोगों को ढेरों जानकारियां दी. इस बाबत उन्होंने ये भी बताया कि कान का ट्यूमर ब्रेन से बिल्कुल सटा हुआ होता है, इसको निकालने में सर्जन को सफलता मिली है.
लगाई गई प्रदर्शनी भी
स प्रोग्राम में कई इक्यूपमेंट व इम्प्लांट की प्रदर्शनी भी लगाई गई. यहां महाराष्ट्र से आये डॉ. हेतल मारफितया ने बताया कि कई बार दवा की वजह से भी सुनने की शक्ति कम हो जाती है. टीबी, मलेरिया डेंगू की दवाओं से यह समस्या हो सकती है. इस अवसर पर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ईएनटी एचओडी डॉ. एसके कनौजिया, डॉ हरेन्द्र सिंह, डॉ संजीव कुमार, डॉ संजय कुमार, डॉ मिलिंद मौजूद रहे.
स प्रोग्राम में कई इक्यूपमेंट व इम्प्लांट की प्रदर्शनी भी लगाई गई. यहां महाराष्ट्र से आये डॉ. हेतल मारफितया ने बताया कि कई बार दवा की वजह से भी सुनने की शक्ति कम हो जाती है. टीबी, मलेरिया डेंगू की दवाओं से यह समस्या हो सकती है. इस अवसर पर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ईएनटी एचओडी डॉ. एसके कनौजिया, डॉ हरेन्द्र सिंह, डॉ संजीव कुमार, डॉ संजय कुमार, डॉ मिलिंद मौजूद रहे.
बहरेपन के हो सकते हैं ये कारण भी
मुंबई से आए ईएनटी एक्सपर्ट डॉ. असीम देसाई ने बताया कि बहरेपन के और भी कई कारण हो सकते हैं. इस क्रम में एक है कि ज्यादा शोर वाली जगह पर रहने से भी ये हो सकता है. इतना ही नहीं, इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि बच्चा बोल नहीं रहा है तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए. करीब एक हजार में 6 से 8 बच्चों को यह समस्या होती है. ऐसे में इस तरह की समस्या के देखने पर इसको नजरअंदाज बिल्कुल न करें. ये सोचकर इसको यूहीं न छोड़ दें कि बड़े होकर ठीक हो जाएगा. तुरंत डॉक्टर से इस बारे में परामर्श लें.
मुंबई से आए ईएनटी एक्सपर्ट डॉ. असीम देसाई ने बताया कि बहरेपन के और भी कई कारण हो सकते हैं. इस क्रम में एक है कि ज्यादा शोर वाली जगह पर रहने से भी ये हो सकता है. इतना ही नहीं, इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि बच्चा बोल नहीं रहा है तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए. करीब एक हजार में 6 से 8 बच्चों को यह समस्या होती है. ऐसे में इस तरह की समस्या के देखने पर इसको नजरअंदाज बिल्कुल न करें. ये सोचकर इसको यूहीं न छोड़ दें कि बड़े होकर ठीक हो जाएगा. तुरंत डॉक्टर से इस बारे में परामर्श लें.