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कानपुर

अब ऑटोमेटिक सॉफ्टवेयर से रुकेगा साइबर फ्रॉड

साइबर फ्रॉड के जरिए बैंकों और एटीएम से पैसा चोरी करने वालों पर लगाम लगाने की तैयारी वैज्ञानिकों ने शुरू कर दी है. यह सब कुछ क्रिप्‍टोलॉजी (कूट लेखन) के जिरए संभव होगा.

कानपुरDec 17, 2018 / 12:28 pm

आलोक पाण्डेय

Kanpur

अब ऑटोमेटिक सॉफ्टवेयर से रुकेगा साइबर फ्रॉड

कानपुर। साइबर फ्रॉड के जरिए बैंकों और एटीएम से पैसा चोरी करने वालों पर लगाम लगाने की तैयारी वैज्ञानिकों ने शुरू कर दी है. यह सब कुछ क्रिप्‍टोलॉजी (कूट लेखन) के जिरए संभव होगा.

कुछ ऐसी है जानकारी
इसके जरिए दुनिया भर के साइबर वैज्ञानिक ऐसी तकनीक ईजाद कर रहे हैं, जिससे साइबर फ्रॉड के दौरान ऑटोमेटिक सॉफ्टवेयर तैयार हो जाएगा और क्रिमिनल के मंसूबों पर पानी फेर देगा. यह सॉफ्टवेयर न केवल वायरस को ऑटोमेटिक डिटेक्‍ट कर लेगा बल्‍कि उसे खत्‍म भी कर सकेगा. यह जानकारी रविवार को नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर से आए साइबर वैज्ञानिक प्रोफेसर अभिक राय चौधरी ने दी. वह यहां आईआईटी कानपुर में इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ क्रिप्‍टोलॉजी रिसर्च ( आईएसीआर) और क्रिप्‍टोलॉजी रिसर्च सोसायटी ऑफ इंडिया ( सीआरएसआई) की ओर से आयोजित अंतरराष्‍ट्रीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे.

अपराधिक घटनाएं भी हो रही हैं ऑनलाइन
उन्‍होंने बताया कि डिजिटलाइज्‍ड लेनदेन और ऑनलाइन डाटा ने साइबर फ्रॉडको कई गुना बढ़ा दिया है. अब अपराधिक घटनाएं भी ऑनलाइन हो रही हैं. हैकर बिना हथियार के करोड़ों रुपए लूट लेता है तो सरकारों को भी तकनीकी और आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाता है. एक वायरस के जरिए पूरा डाटा हैक कर लेता है.

हमारी छोटी सी लापरवाही का उठा लेते हैं फायदा
दूसरे सत्र में आईआईटी कानपुर के कम्‍प्‍यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के हेड और साइबर एक्‍सपर्ट प्रो. संदीप शुक्‍ला ने साइबर सिक्‍योरिटी के बारे में जानकारी दी. उन्‍होंने कहा कि साइबर फ्रॉड काफी हद तक हमारी गलती या बरती गई छोटी सी लापरवाही की वजह से होता है. इसलिए सभी को जागरूक होना जरूरी है. साथ ही साइबर सिक्‍योरिटी के इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को भी क्रिटिकल बनाया जाना चाहिए, जिसे तोड़ पाना आसान न हो.

सभी देशों के लिए सिरदर्द बना हुआ है मालवेयर
कार्यशाला के तीसरे सत्र में डॉ. आशु शर्मा ने मालवेयर एनालिसिस के बारे में जानकारी दी. इसी वायरस के जरिए सबसे अधिक हैकिंगकी घटनाएं हुई हैं. डॉ. शर्मा ने कहा कि इस वायरस ने दुनिया के सभी देशों को परेशान कर दिया है. हैकर इन वायरस का प्रयोग इंटरनेट के जरिए सभी की ई-मेल पर भेजते हैं, जो इसके लालच में पड़ता है, उसका डाटा बड़ी आसानी से हैक हो जाता है. यह इंटरनेशनल कांफ्रेंस पिछले वर्ष गोवा में और इससे पहले हैदराबाद और जयपुर में हुई थी.
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