नर्म घास की उपलब्ध कराने की तैयारी रसूलाबाद तहसील क्षेत्र के असालतगंज जंगल में कुछ दिन पूर्व ही दुर्लभ काले हिरण, चिंकारा व चित्तीदार हिरण प्रजाति का कुनबा देखा गया है। अब इनके लिए चारे का इंतजाम करने को लेकर वन विभाग गंभीर हुआ है। जानकारों की मानें तो हिरणों को नर्म घास बहुत पसंद है। असालतगंज के विलायती बबूल वाले जंगल में दुर्लभ प्रजाति के हिरणों की पसंदीदा नर्म घास पर्याप्त नहीं है। गर्मी में यहां घास लगभग गायब हो जाती है। इसकी आशंका को लेकर भी वन अफसरों की चिंता बढ़ गई है। हिरन समूह को इसी जंगल के आसपास हरा चरा उपलब्ध हो, इसकी तैयारी वन विभाग कर रहा है।
हिरणों के लिए ये फसलें बोयी जाएगी पिछले दिनों जंगल के भ्रमण के दौरान डीएफओ से आसपास के किसानों ने हिरण कुनबे से फसल नुकसान की बात कही थी। किसानों को कहना था कि जंगल से लगे खेत में उगाई फसलें हिरणों का निवाला बन रही हैं। किसानों की इस समस्या के समाधान व हिरणों को खाने से लिए हरे चारे की उपलब्धता वन विभाग की प्राथमिकता में है। विभाग जंगल के करीब वन भूमि में हरा चारा उगाएगा। छोटे-छोटे हिस्सों में मक्का या फिर दलहन के बीज बोए जाएंगे।
जंगल में एक सैकड़ा हो सकते हैं हिरण असालतगंज जंगल में करीब 100 हिरण होने का अनुमान वन विभाग ने ग्रामीणों से बातचीत के बाद लगाया है। डीएफओ ने बताया कि असालतगंज का जंगल कंटीले बबूल का है। इसकी वजह से जंगल के अंदर जाकर हिरण कुनबे में वयस्क व अवयस्क सदस्यों की जानकारी भी संभव नहीं है। हिरणों की टै¨गग भी नहीं की जाती है। अलबत्ता जंगल के बाहर निकल कर विचरण करने वाले हिरण समूहों पर बराबर नजर रखकर इनकी संख्या का अनुमान ही लगाया जा सकता है।
डॉक्टर ललित कुमार गिरी जिला वनाधिकारी ने बताया कि असालतगंज जंगल में जल्द हिरणों की मौजूदगी और शिकार की पाबंदी के बोर्ड लगाए जाएंगे। हिरणों की मन पसंद घास या फसल भी वन क्षेत्र में छोटे-छोटे स्थान पर उगाई जाएगी। कुछ अन्य सुविधाओं पर भी विचार चल रहा है। इस पर भी जल्द निर्णय लिया जाएगा।