बालरोग अस्पताल के विभागाध्यक्ष प्रो. यशवंत राव ने बताया कि इन बच्चों की केस हिस्ट्री के बारे में जानकारी की गई तो पता लगा ये सभी पहले कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। हालांकि किसी बच्चे को आइसीयू की जरूरत नहीं पड़ी है। सभी का बाल रोग अस्पताल की इमरजेंसी में ही इलाज शुरू हुआ। बताया कि एमआइएस-सी की चपेट में बच्चे कोरोना से उबरने के दो से छह हफ्ते बाद आ रहे हैं। इसका संक्रमण होने पर बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अनियंत्रित हो जाती है। इससे उनके शरीर के प्रमुख अंगों पर असर पड़ता है। अगर समय पर इस बीमारी के लक्षण पहचान कर इलाज किया जाए तो बच्चे पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. आरबी कमल ने बताया कि जिन बच्चों को पहले कोरोना का संक्रमण हो चुका है। ऐसे बच्चों में तेज बुखार, उल्टी और दस्त हो रहा है। डायरिया की वजह से बच्चे बेहाल हो रहे हैं। बाल रोग विभाग के कंसल्टेंट इसे मल्टी सिस्टम इंफ्लामेट्री-सिंड्रोम का लक्षण बता रहे हैं। देश के दूसरे हिस्सों में भी बच्चों में भी इसका संक्रमण होने की रिपोर्ट आई है। यहां भर्ती बच्चों की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है।