खबर कुछ ऐसी है कि कानपुर की टेनरी और दूसरी इंडस्ट्रीज से निकलने वाले वेस्ट के बारे में दिल्ली में बैठे-बैठे ही मॉनिटर किया जा सकेगा. बता दें कि फरवरी-19 में कुंभ का आयोजन होना है. इसके चलते गंगा को दिसंबर तक हर हाल में साफ करना प्रदेश सरकार की पहली प्रियॉरिटी है. इसके लिए गंगा में गिरने वाले टेनरी वेस्ट को जीरो किया जाना है.
5 जनवरी 18 को सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्राल बोर्ड और उ.प्र. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की 3 सदस्यीय ज्वाइंट टीम ने टेनरी और ग्रेविटी पॉल्यूटिंग इंडस्ट्रीज, दादा नगर का निरीक्षण किया था. जिसमें क्षमता से अधिक टेनरी वेस्ट और ईटीपी आउटलेट पाया गया था. निरीक्षण के दौरान टीम को डिस्चार्ज आउटलेट में बीओडी की मात्रा 220 एमजी प्रति लीटर मिली, जबकि नॉर्मल वैल्यू 30 एमजी होनी चाहिए.
इसी प्रकार सीओडी की मात्रा 478 एमजी प्रति लीटर मिली, जबकि नॉर्मल वैल्यू 250 एमजी है. क्षमता से अधिक टेनरी वेस्ट आउटलेट का मतलब यह है कि सीईटीपी में ट्रीट होने के लिए जा रहा वेस्ट ज्यादा है. इससे टेनरी वेस्ट सीधे गंगा में गिराया जा रहा है या फिर सीधे जमीन के नीचे प्रवाहित किया जा रहा है. इस डिवाइस के इंस्टॉल के बाद होने वाले टेनरी डिस्चार्ज को मॉनिटर किया जा सकेगा.
टेनरी में पिछले कई दशकों से पुरानी पद्धति से ही कार्य हो रहा है. जिसमें क्रोम और खतरनाक टेनरी वेस्ट भी निकलता है. जिसे सीधे गंगा में गिरा दिया जाता था. नीदरलैंड की सॉलिड एरिडॉड की टीम ने टेनरीज में टेक्निक पर बहुत कार्य किया. इसके अलावा सॉल्ट प्रिजर्वेशन टेक्निक, हेयर सेव अनहियरिंग टेक्निक, वॉटर लेस क्रोम टेक्निक पर भी कार्य किया गया, लेकिन टेनरीज ने इसे बमुश्किल ही स्वीकार किया. अब इनके वेस्ट की निगरानी पर जोर दिया जा रहा है जो मुख्य समस्या की जड़ है.